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ग्रामीणों के विरोध के बीच वन विभाग ने 122.16 हेक्टेयर वनभूमि को कराया अतिक्रमण मुक्त

वन भूमि पर अतिक्रमण कर खेती करने का कर रहे थे प्रयासडिंडौरी. करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरिया के वनक्षेत्र में वर्षों से किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सोमवार को वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 122.16 हेक्टेयर वन भूमि को कब्जे से मुक्त कराया। इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन […]

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वन भूमि पर अतिक्रमण कर खेती करने का कर रहे थे प्रयास
डिंडौरी. करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरिया के वनक्षेत्र में वर्षों से किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सोमवार को वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 122.16 हेक्टेयर वन भूमि को कब्जे से मुक्त कराया। इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन प्रशासन और पुलिस बल की मौजूदगी में कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से पूरी की गई। जानकारी के अनुसार करंजिया के पश्चिम वन परिक्षेत्र के अंतर्गत गोपालपुर के बीट उमरिया एवं परसेल के वन कक्ष क्रमांक 728, 732, 736 एवं 744 में ग्राम बरेण्डा और कुटलाही के ग्रामीण बीते 10 वर्षों से अस्थायी झोपडिय़ां बनाकर वनभूमि पर अतिक्रमण कर खेती करने का प्रयास कर रहे थे। ग्रामीणों ने इन कक्षों में खेती के लिए भूमि की जुताई कर ली थी, जबकि विभाग पहले ही इस क्षेत्र में आंवला, आम समेत अन्य फलदार और छायादार पौधों का रोपण किया था। इससे पहले भी इन्हे वन विभाग ने हटाया था, लेकिन वह पुन: आकर वनभूमि पर बस गए थे। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर सोमवार सुबह 5 बजे से दोपहर 3 बजे तक चले अभियान में वन विभाग, राजस्व विभाग एवं पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम दिया। कार्रवाई के दौरान रेंजर प्राची मिश्रा, डिप्टी रेंजर आशीष कुमार मरावी, नायब तहसीलदार करंजिया शैलेष गौर, उप वनमंडल अधिकारी गाडासरई सुरेन्द्रसिंह जाटव के नेतृत्व में समस्त वनमंडल स्टाफ एवं पुलिस बल मौजूद था। टीम ने जेसीबी मशीनों और ट्रैक्टरों की मदद से 122.16 हेक्टेयर वन भूमि से झोपडिय़ां एवं अवैध निर्माण हटाया और भूमि को पुन: वन क्षेत्र के रूप में संरक्षित करने की दिशा में कार्य शुरू किया गया।


ग्रामीणों ने उठाए सवाल


इस कार्रवाई को लेकर क्षेत्र में कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि अतिक्रमण हटाना ही था, तो बरसात के ठीक पहले का समय क्यों चुना गया। दो माह पूर्व यह कार्रवाई की जाती तो ग्रामीणों को भी वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय मिल जाता। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि वनभूमि पर निवासरत पात्र व्यक्तियों को सर्वे कराकर वन अधिकार पट्टा दिया जाएगा। शासन की नीति ही पुनर्वास और अधिकार पत्र देने की है, तो इस तरह हटाने की कार्रवाई क्यों की गई। इसे लेकर दिनभर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया कि जब इस क्षेत्र में प्रशासन के आदेश पर वनाधिकार कानून के तहत लाभांवित करने के लिए सर्वे कराया गया था, तो कुछ लोगों को जानबूझकर उस सूची से बाहर रखा गया।


शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हुई कार्रवाई


कार्रवाई के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने माहौल बिगाडऩे का भी प्रयास किया, लेकिन प्रशासनिक अमले की तत्परता के चलते स्थिति को तुरंत काबू में कर लिया गया। पुलिस बल की उपस्थिति में अभियान बिना किसी व्यवधान के चला। वन विभाग का कहना है कि यह पूरी कार्रवाई विधिसम्मत एवं उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देशानुसार की गई है। विभाग द्वारा आगे भी इस क्षेत्र में निगरानी रखी जाएगी ताकि दोबारा अतिक्रमण न हो। साथ ही वैधानिक प्रक्रिया के तहत दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।