
डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा। फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan Politics : सत्तारुढ़ भाजपा एवं भारत आदिवासी पार्टी के बढ़ते प्रभाव से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने अबकी बार डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा को जिले की कमान सौंपी है। इस संबंध में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने शनिवार देर शाम सूची जारी की है। हालांकि, जिलाध्यक्ष की दावेदारों की दौड़ में एक दर्जन से अधिक नाम शामिल थे, जिसमें से अंतिम मुहर विधायक घोघरा के नाम पर लगी है।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षकों की ओर से गत माह जिले का दौरा किया था एवं कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन संवाद के बाद यह संकेत दे दिए थे कि इस बार जिलाध्यक्ष दिल्ली-जयपुर से नहीं बल्कि कार्यकर्ता ही तय करेंगे। ऐसे में यह कयास भी लगाए जा रहे थे कि ब्लॉकवार कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद में घोघरा का नाम प्राथमिकता से आया होगा। इधर, घोघरा की नियुक्ति को डूंगरपुर में कांग्रेस के हाथ से फिसल रहे वोट बैंक को वापस पार्टी के खेमे मेें लाने के प्रयासों को भी देखा जा रहा है।
वर्तमान में डूंगरपुर की चार विधानसभाओं में से केवल एक डूंगरपुर विधानसभा सीट ही कांग्रेस के पाले में हैं। वहीं, 2018 के चुनाव में भी घोघरा ही संगठन के निर्णय पर खरे उतरे थे तथा वह एक मात्र ही विधायक बने थे। वर्तमान में सरकार के विपक्ष के तौर पर घोघरा समय-समय पर जनहित के मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में संगठन ने युवा नेतृत्व के तौर पर घोघरा का चयन किया है। आगामी समय में पंचायती राज एवं निकाय चुनाव भी होने हैं। ऐसे में कांग्रेस ने वागड़ में कांग्रेस का दबदबा एक बार फिर स्थापित करने के लिए घोघरा को नेतृत्व दिया है।
डूंगरपुर जिले में चार विधानसभा सीट हैं। राजनीति दृष्टि से चारों सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। यहीं स्थिति जिला प्रमुख एवं प्रधान के पदों के भी है। इस लिहाज से अब तक देखने में आया है कि पिछले कुछ समय से प्रमुख राजनीतिक दल जिलाध्यक्ष की कमान जनजाति वर्ग को छोड़कर शेष अन्य वर्गों को देकर राजनीतिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास करते आ रहे हैं।
बात कांग्रेस की करें, तो निर्वतमान जिलाध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार ओबीसी वर्ग के रहे। वहीं, पूर्व के बरसों में भी ऐसी ही स्थिति रही है। ऐसे ही हालात भाजपा में भी देखने को मिलते रहे हैं। लेकिन, इस बार कांग्रेस नेतृत्व ने इन परिपाटी पर विराम लगाते हुए जनजाति वर्ग के युवा को प्राथमिकता दी है।
जिले में लंबे समय से कांग्रेस में अलग-अलग गुट बने हुए हैं। इसकी वजह से कांग्रेस पिछले कई चुनावों में जिले में तीसरे पायदान पर आई हैं। ऐसे में नए जिलाध्यक्ष के सामने अलग-अलग धड़ों में बटी कांग्रेस को एकजुट करना की सबसे बड़ी चुनौती होगा।
कांग्रेस ने इस बार जिलाध्यक्ष के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक मनोनीत किए थे। इन पर्यवेक्षकों ने हर विधानसभा में भ्रमण कर कार्यकर्ताओं से फीडबेक लिया था। जिलाध्यक्ष की दौड़ में विधायक गणेश घोघरा के साथ ही भरत नागदा, पूर्व उपजिला प्रमुख प्रेमकुमार पाटीदार, उर्मिला अहारी, नारायण पण्ड्या, रेखा कलासुआ, कपिल भट्ट आदि थे। हालांकि, कांग्रेस की ओर से बनाए गए पैनल में घोघरा का नाम पहले नंबर पर था।
कांग्रेस के नए जिलाध्यक्ष घोघरा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन पर जो विश्वास जताया है उस पर वे खरे उतरेंगे। जिले की पूरी 36 कौमों को साथ में लेकर विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। डबल इंजन सरकार के कार्यकाल में आमजन को हो रही परेशानियों के लिए लड़ा जाएगा तथा सभी कार्यकर्ता-पदाधिकारियों को एक जाजम पर लाया जाएगा।
गणेश घोघरा का जन्म 14 मई 1984 को डूंगरपुर के मझोला गांव में हुआ था। एमए, एलएलबी व एम फिल की डिग्री ले रखी है। घोघरा गत दो बार से डूंगरपुर के विधायक है। इसके साथ ही वह राजस्थान युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं, कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान आदिवासी कांग्रेसविभाग का प्रदेशाध्यक्ष भी नियुक्त किया है।
Published on:
23 Nov 2025 02:55 pm
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