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धान के कटोरे में सब्जियों की हरियाली! हर साल 67 लाख मीट्रिक टन उत्पादन, अरब देशों तक छत्तीसगढ़ की दमक..

CG News: प्रदेश के किसानों की सब्जी क्रांति से न सिर्फ राज्य को आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि अपनी उपज से देश और दुनिया के बाजारों में भी धूम मचा रहे हैं।

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धान के कटोरे में सब्जियों की हरियाली! हर साल 67 लाख मीट्रिक टन उत्पादन, अरब देशों तक छत्तीसगढ़ की दमक..(photo-patrika)

धान के कटोरे में सब्जियों की हरियाली! हर साल 67 लाख मीट्रिक टन उत्पादन, अरब देशों तक छत्तीसगढ़ की दमक..(photo-patrika)

CG News:हेमंत कपूर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग प्रदेश के किसान कृषि और कृषि उत्पादन के मामले में लगातार नए आयाम गढ़ रहे हैं। यहां के किसानों ने विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत, परिश्रम और नवाचार के बूते धान के कटोरे के रूप में विख्यात छत्तीसगढ़ के सब्जियों की टोकरे के रूप में स्थापित कर लिया है। प्रदेश के किसानों की सब्जी क्रांति से न सिर्फ राज्य को आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि अपनी उपज से देश और दुनिया के बाजारों में भी धूम मचा रहे हैं।

CG News: बढ़ रही आत्मनिर्भरता

प्रदेश में पिछले साल 4 लाख 91 हजार 393 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जियों की खेती की गई थी। इससे 67 लाख 89 हजार 147 मीट्रिक टन सब्जियों की पैदावार हुई थी। प्रदेश में सब्जियों की पैदावार के मामले में दुर्ग जिला सबसे आगे हैं। यहां 41 हजार 809 हेक्टेयर में विशुद्ध रूप से सब्जियों की खेती होती है।

इससे अकेले जिले में हर साल 7 लाख 68 हजार 137 मीट्रिक टन से ज्यादा पैदावार होती है। इसके अलावा खरीफ में धान के बाद छोटे किसान भी वैकल्पिक रूप से सब्जियों की खेती करते हैं। खासकर दुर्ग और धमधा में शिवनाथ नदी के तटीय गांवों में सब्जियों की बंपर खेती की जा रही है।

प्रदेश की सब्जियों की गुणवत्ता और प्रचुरता ऐसी है कि इनकी धमक न सिर्फ पड़ोसी राज्यों तक बल्कि पड़ोसी देशों के साथ अरब तक भी है। विशेष रूप से टमाटर की देश-विदेश में डिमांड है। जिले के शिमला, मिर्च, कुंदरू, बैगन, खीरा, भिंडी, लौकी व करेला की सप्लाई यूएई जैसे अरब देशों के साथ बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका व अफगानिस्तान तक होती हैं।

बाहर से आवक न होने से कीमतें भी कम

कुल साल पहले तक प्रदेश सब्जियों के मामले में पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहता था। पहले ओडिशा के कांटाभाजी, महाराष्ट्र के गोंदिया, आमगांव, भंडारा, नागपुर, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, मुल्ताई, रामाकोना, सौंसर और पाढूर्णा से सब्जियों की सप्लाई होती थी। दूसरे राज्यों के भरोसे बाजार चलने से तब कीमतें भी बहुत ज्यादा रहती थी। लेकिन अब पैदावार में आत्मनिर्भरता से जहां किसानों की आय बढ़ी है, वहीं स्थानीय आवक के चलते कीमतें भी कम होती है।

धमधा की सब्जियां की डिमांड देश के कई प्रदेशों के साथ विदेशों में भी होती है। खासकर टमाटर, शिमला, लौकी, करेला की डिमांड सबसे ज्यादा होती है। अन्य प्रदेशों के बड़े व्यापारी व एक्सपोर्टर सीधे खेतों से सब्जियों की खरीदी कर ले जाते हैं।

ड्रैगन फ्रूट, खजूर, काजू और नारियल का हो रहा उत्पादन

राकेश टेंभुरकर। राज्य सरकार की पहल से राज्य में फल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहां कुछ साल पहले तक पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन, अब हालात पूरी तरह से बदल गया है। दूसरे राज्यों को फल और सूखे मेवे तक विदेश भेजे जाते है। अच्छी क्वालिटी और आर्गेनिक होने के कारण विदेशों में इसकी भारी डिमांड है।

इसके चलते स्थानीय खपत के साथ ही पड़ोसी राज्यों और दूसरे देशों में यहां से फल का एक्सपोर्ट हो रहा है। इसकी मुख्य वजह किसानों को फसलों की अच्छा कीमत दिलाने और उत्पादन बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।

रोजाना मंडी में 30 ट्रक सब्जी और फल की आवक

उन्हे बैंको से लोन दिलाने के साथ ही अनुदान और प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। हाईटेक नर्सरी और इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। रायपुर डूमरतराई फल मंडी से ड्रैगन फ्रूट, काजू, नारियल, लीची, केला, कुछ मात्रा में सेब, गर्मी के सीजन में तरबूज, खरबूजा, सीताफल और विश्वप्रसिध्द ईमली की देशभर के साथ ही विदेशों में डिमांड है। बस्तर के विश्व प्रसिद्ध ईमली की डिमांड पड़ोसी देशों के साथ खाड़ी के देशों यूरोप, ऑस्टेलिया और अमरीका तक रहती है।

वहीं अपनी सोंधी खुशबू के लिए जशपुर और बस्तर के मशहूल कटहल, राजिम के तरबूज एवं खरबूजे तक एक्सपोर्ट होते है। पिछले कुछ सालों में फल के उत्पादन में 30-40 फीसदी के इजाफे से इसके खेती में विस्तार हुआ है। किसान अत्याधुनिक तरीके से खेती कर रहे है। इसमें कृषि वैज्ञानिक भी मदद कर रहे है।

एपीडा दफ्तर खुलेगा

राज्य सरकार द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) का क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर में स्थापित करने की स्वीकृति दी गई है। इसके शुरू होते ही राज्य के किसानों और उत्पादकों को वैश्विक बाजार से जोड़ने में मदद मिलेगी। उत्पादन में इजाफा होने पर एक्सपोर्टर किसानों की संख्या में इजाफा होगा।