NSG Commando vs MARCOS: भारत बॉर्डर की सुरक्षा के साथ-साथ देश के विशेष और ताकतवर लोगों के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होती है। भारत की सुरक्षा व्यवस्था में दो विशेष बलों का नाम सबसे ऊपर आता है। जिसमें NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) और MARCOS (मरीन कमांडो फोर्स) शामिल है। दोनों का चयन, ट्रेनिंग और काम बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। आइए जानते हैं इन दोनों की सैलरी, सुविधाएं और करियर से जुड़ी मुख्य बातें।
NSG कमांडो मुख्य रूप से आतंकवाद-रोधी ऑपरेशन्स, वीवीआईपी सुरक्षा और शहरी इलाकों में हाई-रिस्क मिशन में तैनात होते हैं। MARCOS का काम समुद्र में आतंकवाद-रोधी ऑपरेशन्स, तटीय सुरक्षा, अंडरवॉटर मिशन और दुश्मन के क्षेत्र में गुप्त मिशन करना होता है।
NSG कमांडो मुख्य रूप से आतंकवाद निरोधक ऑपरेशन्स, VIP सुरक्षा और हाई-रिस्क मिशन के लिए बनाए गए हैं। इनका चयन आर्मी, पैरामिलिट्री और CAPF के बेहतरीन जवानों में से होता है। ट्रेनिंग में अर्बन कॉम्बैट, होस्टेज रेस्क्यू, बम डिस्पोजल जैसी तकनीकें सिखाई जाती हैं। वहीं MARCOS की बात करें तो MARCOS भारतीय नौसेना की स्पेशल फोर्स है। इनका चयन नौसेना के कर्मियों में से होता है। इनकी ट्रेनिंग को दुनिया की सबसे कठिन ट्रेनिंग में गिना जाता है।
NSG कमांडो की सैलरी मूल रूप से सैनिक की पैरेंट यूनिट के पे-स्केल के अनुसार होती है। इसमें बेसिक पे, मिलिट्री सर्विस पे, हार्डशिप अलाउंस और स्पेशल अलाउंस शामिल होते हैं। औसतन एक NSG कमांडो की मासिक सैलरी 70,000 से 1,20,000 रूपये तक हो सकती है। वहीं MARCOS को नौसेना के पे-स्केल के अनुसार सैलरी मिलती है। इसके अलावा स्पेशल फोर्स अलाउंस, डाइविंग अलाउंस, हाई-रिस्क अलाउंस और हार्ड ड्यूटी पे भी दिया जाता है। औसतन MARCOS की मासिक सैलरी 80,000 से 1,30,000 रूपये तक हो सकती है।
NSG कमांडो को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं, सरकारी आवास, ड्यूटी के दौरान स्पेशल इंश्योरेंस कवर, कैन्टीन और अन्य सेन्य सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। हाई-रिस्क मिशन में शामिल होने के कारण विशेष भत्ते दिए जाते हैं। MARCOS को समुद्री ऑपरेशन के कारण इन्हें अतिरिक्त सुविधाएं जैसे डाइविंग अलाउंस, सी ड्यूटी अलाउंस, विदेश मिशन पर जाने पर विशेष भत्ते, मुफ्त आवास और स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं।
Published on:
26 Aug 2025 08:06 pm