Student Suicides in India (Image: Gemini)
Student Suicides in India: भारत में छात्र आत्महत्याओं की संख्या पिछले दशक में तेजी से बढ़ी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2013 में 8,423 छात्र आत्महत्या के शिकार हुए थे जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 13,892 हो गई है। यह वृद्धि कुल आत्महत्याओं की बढ़ोतरी से भी कहीं तेज है और इसने समाज और शिक्षा प्रणाली में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पिछले दस साल में कुल आत्महत्याओं में 27% की वृद्धि हुई है। 2013 में कुल आत्महत्या की संख्या 1.35 लाख थी, जो 2023 में बढ़कर 1.71 लाख हो गई। वहीं, 2019 की तुलना में कुल आत्महत्याओं में 23% की वृद्धि दर्ज की गई। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि छात्र आत्महत्याओं का बढ़ता ग्राफ समाज के लिए चिंता का विषय है।
छात्र आत्महत्याओं का कुल आत्महत्याओं में हिस्सा पिछले दशक में 6.2% से बढ़कर 8.1% हो गया है। यह बढ़ती संख्या दर्शाती है कि शैक्षिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का असर छात्रों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है।
NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में कुल आत्महत्याओं में दैनिक मजदूरों की संख्या सबसे अधिक थी जो कुल आत्महत्याओं का 27.5% थी। गृहिणियों की संख्या 14% थी और स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों की संख्या 11.8% रही। यह आंकड़ा दर्शाता है कि विभिन्न पेशों और जीवन परिस्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य और तनाव एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि छात्र आत्महत्याओं में इतनी तेजी से वृद्धि होना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसके पीछे शैक्षिक दबाव, मानसिक स्वास्थ्य की कमी, परिवारिक तनाव और करियर से जुड़ी समस्याएं प्रमुख कारण मानी जा रही हैं।
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि छात्रों के लिए काउंसलिंग और हेल्पलाइन की सुविधा बढ़ाई जाए, मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए और परिवार तथा स्कूल/कॉलेज का सहयोग मजबूत किया जाए।
Published on:
02 Oct 2025 08:10 pm
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