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Success Story: IIT का सपना छोड़ ज्वाइन की आर्मी, फिर बन गई राष्ट्रपति से पदक पाने वाली देश की पहली महिला कैडेट, जानिये सिद्धि जैन की सक्सेस स्टोरी

Siddhi Jain: NDA में महिलाओं के लिए दरवाजे खुलने से पहले वह कोटा में रहकर IIT-JEE की तैयारी कर रही थीं। लेकिन जैसे ही महिलाओं के लिए एनडीए में प्रवेश शुरू हुआ, उन्होंने अपना लक्ष्य बदल दिया और पूरी तैयारी के साथ एनडीए परीक्षा दी।

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भारत

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Anurag Animesh

Dec 03, 2025

Siddhi Jain nda

Siddhi Jain Got President Medal(Image-'X'/@centurionaca)

Success Story: आज महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। भारतीय सेना से भी इससे अछूता नहीं है। नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के 149वें कोर्स की पासिंग आउट परेड रविवार को हुई, और इसी मौके पर एक नया इतिहास बन गया। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की रहने वाली सिद्धि जैन(Siddhi Jain) पहली महिला कैडेट बन गई हैं, जिन्हें 'ओवरऑल ऑर्डर ऑफ मेरिट' में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 'प्रेसिडेंट्स ब्रॉन्ज मेडल' से सम्मानित किया गया। यह मेडल नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने उनके यूनिफॉर्म पर सजाया। सिद्धि जैन दूसरे बैच की महिला कैडेट्स में शामिल थीं।

Success Story: इससे पहले कर रही थी IIT-JEE की तैयारी


एनडीए में महिलाओं के लिए दरवाजे खुलने से पहले वह कोटा में रहकर IIT-JEE की तैयारी कर रही थीं। लेकिन जैसे ही महिलाओं के लिए एनडीए में प्रवेश शुरू हुआ, उन्होंने अपना लक्ष्य बदल दिया और पूरी तैयारी के साथ एनडीए परीक्षा दी। अब उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान नवाजा गया है।

149वें कोर्स में 329 कैडेट पास आउट, जिनमें 15 महिला कैडेट शामिल

रविवार को पासिंग आउट होने वाले 329 कैडेट्स में 15 महिला कैडेट्स थीं। अब तक दो महिला कैडेट अकादमिक स्ट्रीम में टॉपर रही हैं, एक 148वें और एक 149वें कोर्स में। लेकिन ओवरऑल मेरिट में मेडल जीतने वाली पहली महिला कैडेट बनने का गौरव सिद्धि जैन को मिला। एनडीए की ओवरऑल मेरिट सूची कई पहलुओं पर आधारित होती है। जिसमें अकादमिक प्रदर्शन, आउटडोर ट्रेनिंग, संयुक्त ट्रेनिंग, अफसर जैसे गुण, सर्विस सब्जेक्ट्स शामिल होता है।

हमने कंधे से कंधा मिलाकर नहीं, हाथ पकड़कर भी ट्रेनिंग की- Siddhi Jain

अपने परेड के बाद सिद्धि ने कहा, “एनडीए का ट्रेनिंग कठिन है, लेकिन लगातार मार्गदर्शन, इंस्ट्रक्टर्स का सहयोग और परिवार का प्यार इस सफर को आसान बना देता है। यहां सिखाया जाता है कि सैन्य ट्रेनिंग का मतलब है, धैर्य, नियमितता और लगातार आगे बढ़ना। जब हमें पुरुष कैडेट्स के साथ मिलाकर ट्रेनिंग दी गई, तो हमने सिर्फ कंधे से कंधा ही नहीं, बल्कि कई बार हाथ पकड़कर भी चुनौतियों को पार किया।” सिद्धि ने आगे बताया कि बचपन से ही सेना में जाने का सपना था।
IIT-JEE की तैयारी कर रही थी, तभी एनडीए ने महिलाओं के लिए प्रवेश शुरू किया। मैंने फैसला किया कि मैं एनडीए का ही एग्जाम दूंगी। परिवार ने हर कदम पर साथ दिया, तभी यह सफर संभव हो पाया।”

Siddhi Jain के पिता ने क्या कहा?

सिद्धि के पिता, निखिल जैन, जो बदायूं जिले के उज्हानी के रहने वाले हैं और पेशे से शिक्षक हैं। अपनी बेटी पर गर्व करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि सिद्धि पहली महिला कैडेट है जिसने ओवरऑल ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रेसिडेंट्स ब्रॉन्ज मेडल पाया। वह पहले प्रयास में एनडीए में चयनित नहीं हुई थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा कोशिश की। मुझे गर्व है कि वह अब देश की सेवा के लिए तैयार है।