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न चैकपोस्ट, न लैब, न शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर, हाईकोर्ट के आदेश भी बेअसल

ग्वालियर चंबल संभाग में मिलावट का कारोबार बड़े पैमाने पर है। त्योहारी सीजन आने पर मिलावटी मावा, दूध, पनीर, मिठाई की आवक बढ़ जाती है, लेकिन इस कारोबार पर लगाम लगाने की व्यवस्था नहीं है।

adulteration business
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ग्वालियर चंबल संभाग में मिलावट का कारोबार बड़े पैमाने पर है। त्योहारी सीजन आने पर मिलावटी मावा, दूध, पनीर, मिठाई की आवक बढ़ जाती है, लेकिन इस कारोबार पर लगाम लगाने की व्यवस्था नहीं है। धीरे-धीरे मिलावट का कारोबार बढ़ता जा रहा है। हाईकोर्ट की दो सदस्यीय कमेटी ने विभाग की कमियां बताते हुए सुधार के सुझाव दिए। कमेटी की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई। न शहर में चैकपोस्ट बन सका है। न हेल्पलाइन नंबर, जहां पर लोग मिलावट की सूचना दे सके। न लैब शुरू कर सके हैं, जिससे समय पर रिपोर्ट मिल सकें। जो नमूनों की रिपोर्ट भोपाल भेजी जाती हैं, उन्हें आने में 6 महीने से एक साल लग रहा है। रक्षा बंधन पर लिए गए सैंपल की रिपोर्ट दीपावली पर मिलती है। जबकि यह रिपोर्ट 14 दिन में आ जाना चाहिए।

दरअसल उमेश कुमार बोहरे ने अंचल में फैले मिलावट के कारोबार को लेकर जनहित याचिका दायर की। इस याचिका में जो आदेश दिए गए, उनका पालन नहीं किया गया। इसके चलते बोहरे ने अवमानना याचिका दायर की। इस अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि अंचल में मिलावट माफिया भी रेत माफिया की तरह हो रहा है। इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो बेकाबू हो जाएगा। इसके बाद 2024 में दीपावली के वक्त अभियान चलाया गया। इसके बाद कोर्ट ने सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश व सेवा निवृत आईएएस की कमेटी बनाई। इस कमेटी ने मिलावट को लेकर की जा रही कार्रवाई की समीक्षा की। अपनी रिपोर्ट बनाई। कार्रवाई को लेकर कमियां बताई गई। इन कमियों को दूर कर पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना था, लेकिन कमियां दूर नहीं हुई। हाईकोर्ट ने फिर से अवमानना याचिका की याद दिलाई है। अधिकारियों ने कार्रवाई से बचने के लिए सैंपलिंग की है।https://www.patrika.com/gwalior-news/there-is-a-major-concern-that-food-safety-officers-are-not-performing-their-duties-in-punishing-adulterators-19847455

इन कमियों को नहीं कर पाए दूर, इस कारण कारोबार पर लगाम नहीं

-जिन मिलावट खोरों पर जुर्माना लगाया जाता है, उन पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 96 में राशि जमा नहीं करने पर तत्काल लाइसेंस निलंबित करने का प्रावधान है । इस प्रावधान जिलों में पालन नहीं किया जा रहा है। इस कारण जुर्माना जमा नहीं हो रहा है। लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई नहीं की जा रही।

- मिलावट की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाए, लेकिन आम जनता के लिए शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर नहीं है। स्थानीय स्तर पर मोबाइल नंबर जारी किया गया था। इस नंबर का प्रचार प्रसार नहीं है। इससे आम लोग संतोषजनक तरीके से शिकायत नहीं कर पा रहे हैं।

- कमेटी ने पाया कि जिन फर्म व दुकानों के सैंपल एक से अधिक बार अमानक पाए गए, उनके लाइसेंस निलंबित नहीं किए गए। खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 64/1 में भी लाइसेंस निरस्त नहीं किया जाता है।

- ऐसे दुकानें जिनके नमूने अमानक पाए गए हैं, उनकी तीन महीने में फिर से सैंपलिंग होना चाहिए। कार्यालयों में इसका रिकॉर्ड संधारित नहीं किया गया। मिलावट करने वालों पर सतत निगरानी की व्यवस्था नहीं है।

- मिलावट को रोकने के लिए चेकपोस्ट खोले जाने हैं, लेकिन विभाग के पास अधिकारी व कर्मचारी नहीं है। न लैब है। लैब नहीं होने की वजह से नाकों पर तत्काल जांच संभव नहीं है।

- भारत सरकार ने अप मिश्रण की शिकायत के लिए एप बनाया है, लेकिन इस एप का प्रचार प्रसार नहीं है। इस वजह से जनता के बीच में लोकप्रिय नहीं है।

- नमूनों की जांच के लिए भोपाल में एक लैब है। ग्वालियर व जबलपुर की लैब तैयार नहीं हो सकी है। इस कारण नमूनों की जांच में देर लग रही है।