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416 साल में 416 दिन खुला भगवान कार्तिकेय का मंदिर: साल में एक बार खुलता है, आधी रात हुआ गंगाजल अभिषेक

भगवान कार्तिकेय की कपड़ों से ढंक कर रखी गई प्रतिमा से कपड़ा हटाते हुए

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  • प्रदेश के इकलौते मंदिर में दर्शनों का खास मौका, 6 नवंबर को फिर बंद हो जाएंगे पट,11 ब्राह्मणों ने किया अभिषेक

सालभर के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार प्रदेश के इकलौते भगवान कार्तिकेय स्वामी मंदिर के पट मंगलवार की रात्रि 12 बजे विशेष पूजा-अर्चना के साथ खोले गए। जीवाजीगंज स्थित करीब 416 वर्ष पुराने इस पवित्र स्थल पर आज बुधवार, 5 नवंबर को सुबह 4 बजे से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन शुरू हो गए हैं। वर्ष में केवल एक दिन खुलने वाले इस मंदिर पर दर्शनों के लिए ग्वालियर सहित पूरे प्रदेश और अन्य राज्यों से भी भक्त बड़ी संख्या में पहुंचेंगे।

गंगाजल से अभिषेक, आतिशबाजी और भजन संध्या

मंदिर के पुजारी बसंत शर्मा और आचार्य दिनेश शर्मा ने बताया कि मंदिर की गहन साफ-सफाई के बाद, 11 ब्राह्मणों के दल ने पूरी विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय स्वामी का गंगाजल से अभिषेक किया। यह भव्य अभिषेक देर रात करीब दो बजे तक चला, जिसके बाद वातावरण को भक्तिमय बनाते हुए आतिशबाजी भी की गई। दर्शनों का यह विशेष सिलसिला कल गुरुवार, 6 नवंबर को सुबह 4 बजे तक चलेगा, जिसके बाद मंदिर के पट पुनः एक साल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

364 दिन बंद रहते हैं कपाट, शापित दर्शन का भय

यह मंदिर अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, जहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान कार्तिकेय के दर्शन का विशेष महत्व है। सबसे खास बात यह है कि साल के 364 दिन इस मंदिर के पट बंद रहते हैं। यहां 'शापित दर्शन' की मान्यता भी है, जिसके कारण चोर भी मंदिर में कदम रखने से डरते हैं।

इसलिए सिर्फ एक दिन दर्शन

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय से तीनों लोकों की परिक्रमा करने को कहा था। गणेश ने यह परिक्रमा पूरी की, जिससे वे पहले पूजे गए। इससे नाराज होकर कार्तिकेय ने शाप दिया था कि जो उनके दर्शन करेगा, वह सात जन्मों तक नरक भोगेगा। बाद में शिव-पार्वती के समझाने पर कार्तिकेय ने वचन दिया कि जो कार्तिक पूर्णिमा पर उनकी पूजा करेगा, उसकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी। तभी से भगवान कार्तिकेय के दर्शन केवल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही किए जाते हैं। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर 364 बत्तियों का दीपक अर्पित करते हैं।