ग्वालियर. उप पंजीयक कार्यालय में लगातार स्टांप ड्यूटी चोरी के मामले सामने आ रहे हैं। न शासन को चपत लगाने वाले सर्विस प्रोवाइडर पर कार्रवाई हो रही है और न उप पंजीयक की जांच। इसके चलते स्टांप ड्यूटी के प्रकरण नहीं रुक रहे हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की संपत्तियों में स्टांप ड्यूटी की चोरी की जा रही है। दस्तावेज निरीक्षण में सामने आने पर वसूली भी हो रही है। पंजीयन विभाग ने दस्तावेज लेखक की व्यवस्था खत्म कर दी है, उसकी जगह पर सर्विस प्रोवाइडर नियुक्त किए हैं। स्लॉट बुक करके पंजीयन के लिए दस्तावेज उप पंजीयक के यहां पेश कर रहे हैं। पंजीयन के वक्त संपत्ति का फोटो अटैच कर रहे हैं, लेकिन संपत्ति के तथ्यों को पूरी तरह से छिपा लिया जाता है, जिससे स्टांप ड्यूटी की चोरी हो रही है।
-शहर में जमीन पर निर्माण है तो उसे छिपा लिया जाता है। यदि मकान दो मंजिला बना है तो एक मंजिल गायब कर रहे हैं। एक मंजिल की स्टांप ड्यूटी चुका रहे हैं।
-गांव में सड़क के तथ्य को छिपा लिया जाता है। पक्की सड़क है तो कच्चा रास्ता दिखाया जाता है।
-शहर में भी सड़क को छिपाया जाता है। मुख्य सड़क की जगह कॉलोनी का रास्ता बता दिया जाता है।
केस-1
ग्राम बरौआ पिछोर में व्यवसायिक संपत्ति का पंजीयन किया गया। इस भूमि पर कॉलेज का निर्माण था और व्यवसायिक डायवर्सन, लेकिन कृषि भूमि के नाम पर पंजीयन किया। जब मामला सामने आया तो 71 लाख रुपए की स्टांप ड्यूटी चोरी निकली। तथ्यों को छिपाकर रजिस्ट्री की गई। इस मामले में न सर्विस प्रोवाइडर पर कार्रवाई हुई और न उप पंजीयक पर। वसूली के बाद रिपोर्ट भोपाल भेजी थी।
केस-2
पिछोर में एक लाख 43 हजार स्क्वायर फीड भूमि का व्यवसायिक डायवर्सन था। खसरे में भी डायवर्सन दर्ज था, लेकिन पंजीयन के वक्त तथ्यों को छिपा लिया गया। कृषि भूमि में पंजीयन किया गया। शिकायत के बाद जो आंकलन किया गया है, उसमें 35 लाख रुपए का नुकसान सामने आ रहा है। इसमें भी सर्विस प्रोवाइडर ने तथ्य छिपाए और उप पंजीयक ने तथ्य नहीं देखे।
क्रेता-विक्रता जिम्मेदार
क्रेता-विक्रेता के बताए तथ्यों पर पंजीयन होता है। यदि वह गलत तथ्य बताता है तो उसके लिए वही जिम्मेदार है। उप पंजीयक तब जिम्मेदार होगा जब दस्तावेज लिखे तथ्यों की अनदेखी कर पंजीयन कर दे।
दिनेश गौतम, वरिष्ठ जिला पंजीयक ग्वालियर
Updated on:
19 Jul 2024 07:48 pm
Published on:
19 Jul 2024 06:28 pm