
(Photo Source - Patrika)
MP News: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने कहा कि बिना प्रारंभिक जांच किए निलंबन की कार्रवाई उचित नहीं है। कोर्ट ने रितु व्यास की ओर से दायर रिट अपील पर सुनवाई करते हुए निलंबन आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए बनाई गई सेवा शर्तों के नियम 7.2 के अनुसार किसी भी कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई से पूर्व प्रारंभिक जांच अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि निलंबन जैसी कार्रवाई से पहले सक्षम अधिकारी द्वारा आरोपों की गंभीरता पर संतोष दर्ज होना चाहिए।
रितु व्यास जनपद पंचायत भांडेर, जिला दतिया में अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं, उन्हें जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा निलंबित किया गया था। निलंबन आदेश को उन्होंने रिट में चुनौती दी थी, जिसे एकल-पीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि निलंबन में कोई त्रुटि नहीं है। युगल पीठ में रिट अपील दायर की। पीठ ने पाया कि न तो प्रारंभिक जांच की गई और न ही आरोपों की गंभीरता पर सक्षम अधिकारी द्वारा संतोष दर्ज किया गया।
कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक जांच का उद्देश्य आरोपों की सत्यता और गंभीरता का मूल्यांकन करना होता है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि विस्तृत जांच की आवश्यकता है या नहीं। चूंकि प्रारंभिक जांच नहीं की गई, इसलिए निलंबन आदेश तथा इसके खिलाफ दायर रिट को खारिज करने का आदेश दोनों को निरस्त कर दिया गया।
कोर्ट ने रितु व्यास को निलंबन से पूर्व के पद पर बहाल करने के निर्देश दिए। साथ ही निर्देशित किया कि निलंबन अवधि में रोके गए 50 प्रतिशत पारिश्रमिक का दो माह के भीतर भुगतान किया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सक्षम अधिकारी चाहें तो नियमों के अनुसार प्रारंभिक जांच कर सकते हैं।
Published on:
25 Nov 2025 05:56 pm
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