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स्मार्ट सिटी का ‘अंधेर’: 24 घंटे में ही लाइटें खराब, शहर में अब भी अंधेरा

स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अफसर किस तरह पैसों की बर्बादी कर रहे हैं। यह स्मार्ट सिटी के एलईडी प्रोजेक्ट से समझा जा सकता है। 10.79 करोड़ में लाइट सप्लाई का ठेका लेने वाली फ्लोरिडा कंपनी ...

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gwalior smart city

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ग्वालियर. स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अफसर किस तरह पैसों की बर्बादी कर रहे हैं। यह स्मार्ट सिटी के एलईडी प्रोजेक्ट से समझा जा सकता है। 10.79 करोड़ में लाइट सप्लाई का ठेका लेने वाली फ्लोरिडा कंपनी ने दीपावली त्योहार पर लाइटों की डिमांड को देखते हुए 1900 लाइटें भेजी, लेकिन इसमें 70 वाट की 1700 लाइटें घटिया क्वालिटी के होने के साथ ही पॉली कार्बन लेस विथ ग्लास नहीं होने, ब्रेकिट लाइट का डाया मीटर छोटा होने पर उन्हें वापस कर दिया और 110 वाट की 200 लाइटों को शहर के प्रमुख सडक़ों पर लगाया गया।

उसके बाद कंपनी ने ब्रेकिट लाइट का डाया मीटर बड़ा करके 650 लाइटें भेजी जिन्हें शहर के खंभों पर लगाया गया। इसके साथ ही दो हजार लाइटें अफसरों ने अपने आपसी संबंधों पर शहर के कुछ ठेकेदारों से भी और लगभग 3000 लाइटें शहर में लगा दीं। हैरानी की बात ये है कि इन लाइटों की टेङ्क्षस्टग ही नहीं की गई। अब 24 घंटे के अंदर धीरे-धीरे खराब होकर बंद होती जा रही हैं। इससे इंदरगंज रोड, झांसी रोड, शिवपुरी ङ्क्षलक रोड, मरघट रोड, मुरारा, थाटीपुर सहित कई स्थानों पर अंधेरा पड़ा हुआ है।

ऐसे हो रहा रोशनी का घोटाला, लाइटों में ये है कमी

  • पॉली कार्बनलेस विथ ग्लास वाली लाइटें नहीं है।
  • लाइट का डाया मीटर 50 एमएम का होना चाहिए था, जो कि 40 एमएम का है।
  • 70 वाट की लाइटों में गिलास प्लस लैंस नहीं है।
  • यह लाइटें पूर्व की लाइटों की तुलना में प्रकाश भी कम देती है।

मटेरियल डिमांड को लेकर अफसर आमने-सामने

इधर, मटेरियल डिमांड को लेकर नगर निगम व स्मार्ट सिटी के अफसर लाइटों की जरुरत बता रहे हैं। लेकिन पत्र भेजने की कवायद न तो स्मार्ट सिटी द्वारा की जा रही है और ना ही निगम के अफसरों के द्वारा। ऐसे में शहर की लाइटें चालू होना काफी मुश्किल लग रहा है।

बिना टेस्टिंग कैसे लगाई लाइटें?

अभी शहर भर में लाइटें लगाई जा रही हैं और करीब तीन हजार लाइटें भी लगाई गई हैं। बिना टेङ्क्षस्टग के लाइटें कैसे लगाई गईं, इसकी जानकारी लेता हूं। यदि लाइटें खराब हैं तो कार्रवाई करेंगे।
प्रदीप तोमर, अपर आयुक्त नगर निगम