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विभाग ने कम की दी वरिष्ठता, रिटायर्ड होने के बाद दस्तावेज देखे तो पता चला, कोर्ट में लड़ाई लड़ी तो 18 साल बाद पदोन्नति के आदेश

जूनियरों को बना दिया था प्राचार्य, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला

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विभाग ने कम की दी वरिष्ठता, रिटायर्ड होने के बाद दस्तावेज देखे तो पता चला, कोर्ट में लड़ाई लड़ी तो 18 साल बाद पदोन्नति के आदेश

विभाग ने कम की दी वरिष्ठता, रिटायर्ड होने के बाद दस्तावेज देखे तो पता चला, कोर्ट में लड़ाई लड़ी तो 18 साल बाद पदोन्नति के आदेश

ग्वालियर। संतोषीलाल पाराशर लेक्चरर पद से 2006 में सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पता चला कि विभाग ने वरिष्ठता कम कर दी है। वरिष्ठता व पदोन्नति को लेकर 2006 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने संतोषीलाल पाराशर के पक्ष में फैसला दिया है। आदेश दिया है कि विभाग ने वरिष्ठता कम की थी, वह दी जाए और पदोन्नति का लाभ दिया जाए। सेवानिवृत्ति के 18 साल बाद संतोषीलाल पाराशर को पदोन्नति मिलेगी।

संतोषीलाल पाराशर की 1967 में रायपुर संभाग (वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी) में सहायक शिक्षक पद पर भर्ती हुई थी। 1978 में पाराशर का स्थानांतरण ग्वालियर संभाग में हो गया, लेकिन रायपुर संभाग में जो सेवा दी थी, उस सेवा को शिक्षा विभाग ने अस्वीकार कर दिया। उन्हें रायपुर संभाग में दी सेवाओं को अमान्य करते हुए 1984 में प्रधान अध्यापक के पद पर पदोन्नत किया गया।

31 मार्च 2006 में उनके जूनियरों को हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य पद पर पदोन्नत कर दिया, लेकिन उन्हें पदोन्नति नहीं दी। इस बीच वह जौरा के स्कूल से सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्त के बाद उन्होंने अपने दस्तावेजों का अवलोकन किया तो पता चला कि उनकी रायपुर संभाग की सेवा को हटा दिया गया। इस कारण प्रमोशन नहीं दिया। उन्होंने 2006 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनकी ओर से अधिवक्ता एचडी मिश्रा ने तर्क दिया कि विभाग ने गलत तरीके से वरिष्ठता खत्म की है। न इसकी सूचना दी और न पक्ष सुना गया।

सेवा के साल कम किए जाने से पदोन्नति का लाभ नहीं मिल सका है। शासन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि देर से इन्होंने अपनी वरिष्ठता का मुद्दा उठाया है। इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने संतोषीलाल पाराशर को पदोन्नत करने का आदेश दिया है।