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हाईकोर्ट ने पूछा- प्रदेश के हर तालाब में जलकुंभी का कब्जा, ऐसा कोई तरीका नहीं जिससे इसे नष्ट किया जा सके

हाईकोर्ट की युगल पीठ ने शिवपुरी की सांख्य सागर झील सहित प्रदेश के तालाबों में फैली जलकुंभी पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि हर जगह जलकुंभी का कब्जा हो ...

जनहित याचिका पर सुनवाई...
जनहित याचिका पर सुनवाई...

ग्वालियर. हाईकोर्ट की युगल पीठ ने शिवपुरी की सांख्य सागर झील सहित प्रदेश के तालाबों में फैली जलकुंभी पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि हर जगह जलकुंभी का कब्जा हो रहा है। क्या ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे इसे नष्ट किया जा सके। जलकुंभी नष्ट करने वाले बीटल तैयार करने का भी सुझाव दिया। वहीं अधिकारियों ने शिवपुरी की सांख्य सागर झील में जलकुंभी के नियंत्रण के लिए दो तरीके बताए।

जलकुंभी साफ पानी में नहीं पनपती। सीवर के पानी में यह तेज गति से बढ़ती है। इसलिए सीवर के पानी को रोका जाए। ट्रंक लाइन में सीवर कनेक्ट करने के लिए 9 करोड़ का खर्च आएगा। दूसरा गेट खोल दिया जाए तो जलकुंभी बह जाएगी। अभी पानी गेट के नीचे से निकल जाता है और जलकुंभी गेट से टकराकर झील में रुक जाती है।

विशेषज्ञों की टीम ने पेश की रिपोर्ट

दरअसल आदित्यराज पांडेय ने जलकुंभी को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया कि सांख्य सागर झील में जलकुंभी का कब्जा हो गया है। अन्य जलाशयों की भी ऐसी ही स्थिति है। इससे पानी के स्रोत खत्म हो रहे हैं। जलकुंभी को खत्म करने के प्रयास किए गए, लेकिन जिस तरह के प्रयास होने थे, उस हिसाब से काम नहीं किया गया। इस कारण जलकुंभी खत्म नहीं हुई। हाईकोर्ट ने जलकुंभी को नष्ट करने के लिए विशेषज्ञ टीम गठित की। टीम ने निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश की। झील में केमिकल नहीं डाल सकते, क्योंकि जलीय जीवों को खतरा हो जाएगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि मशीनों से जलकुंभी को निकाला जा रहा है। इस तरीके से यह नष्ट नहीं हो सकती है। नया पौधा तैयार हो जाएगा। बीटल ही इसे नष्ट कर सकते है। इसे जड़ से खाते हैं।

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विशेषज्ञों ने दो तरीके बताए…


  1. सीवर का पानी रोका जाए, गेट खुल जाएं तो जलकुंभी बह जाएगी




  2. पानी में केमिकल नहीं डाल सकते, क्योंकि जलीय जीवों के लिए खतरा

सीवर रोकने फंड चाहिए

  • पीएचई के मुख्य अभियंता आरएलएस मौर्य ने बताया कि घरों की सीवर लाइन को मुख्य लाइन से जोड़ने 9 करोड़ फंड की जरूरत है। सीवर एसटीपी तक पहुंच जाएगी। इससे झील में सीवर नहीं जाएगा।
  • डीएफओ ने बताया कि झील में गेट लगे हुए हैं। पानी ओवर फ्लो होने पर गेट से पानी निकल जाता है। जलकुंभी ऊपर रह जाती है। यदि गेट खोले जाते हैं तो जलकुंभी नदी में बह जाएगी।

जबलपुर के रिसर्च सेंटर ने तैयार किए हैं बीटल

बीटल जलकुंभी को खाने वाला कीड़ा होता है। नियोचेटिना आइचोर्निया नाम का बीटल इसे खत्म करता है। कृषि विश्वविद्यलाय जबलपुर के खरपतवार नियंत्रण सेंटर से मिलेगा। एक हेक्टेयर में 25 हजार बीटल की जरूरत पड़ेगी।