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हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्य वर्ग ‘ओपन कैटेगरी’ होती है, जिसमें सभी वर्गों के उम्मीदवार मेरिट के आधार पर प्रवेश पा सकते हैं

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) को राज्य सेवा परीक्षा 2016 के तहत डिप्टी कलेक्टर पद पर हुई नियुक्तियों में त्रुटि सुधारने का आदेश दिया है।

Madhya Pradesh Public Service Commission
Madhya Pradesh Public Service Commission

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) को राज्य सेवा परीक्षा 2016 के तहत डिप्टी कलेक्टर पद पर हुई नियुक्तियों में त्रुटि सुधारने का आदेश दिया है। मामला ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी जितेंद्र कुमार पटेल से जुड़ा है, जिनका मेरिट स्कोर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी आशुतोष गोस्वामी से अधिक होने के बावजूद, उन्हें सामान्य वर्ग में रिक्त पद नहीं दिया गया। इसके कारण ओबीसी वर्ग में रिक्त हुई सीट भी सही उम्मीदवार को नहीं मिल सकी। हाईकोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वेटिंग लिस्ट के आधार पर नया पैनल तैयार किया जाए और पात्र उम्मीदवारों को समायोजित किया जाए। साथ ही, जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रभावित हो सकती है, उन्हें आपत्ति दर्ज करने का अवसर दिया जाए।

शशांक सिंह गुर्जर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। शशांक गुर्जर का नाम ओबीसी वेटिंग लिस्ट में पहले स्थान पर था। वरिष्ठ अधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने तर्क दिया कि नियुक्ति में की त्रुटि की वजह से शशांक को नियुक्ति नहीं मिल सकी। यदि जितेंद्र पटेल को सामान्य वर्ग में समायोजित किया जाता, तो ओबीसी वर्ग में खाली हुई सीट उन्हें मिलनी चाहिए थी। पीएससी ने तर्क दिया कि एक बार आरक्षण लागू हो जाने के बाद श्रेणियों में बदलाव संभव नहीं है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरक्षण और मेरिट के सिद्धांत के अनुसार, यदि कोई आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार सामान्य वर्ग के अंतिम कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है, तो उसे सामान्य वर्ग (ओपन कैटेगरी) में समायोजित किया जाना चाहिए। इसके बाद उसकी मूल श्रेणी में रिक्त हुई सीट उस वर्ग की वेटिंग लिस्ट में उच्चतम स्थान पर मौजूद उम्मीदवार को दी जानी चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सामान्य वर्ग ‘ओपन कैटेगरी’ होती है, जिसमें सभी वर्गों के उम्मीदवार मेरिट के आधार पर प्रवेश पा सकते हैं, लेकिन सामान्य से आरक्षित वर्ग में ‘माइग्रेशन’ संभव नहीं है। इस मामले में, एमपी पीएससी ने सामान्य वर्ग में रिक्त पद अशुतोष गोस्वामी को दिया, जबकि उनकी मेरिट जितेंद्र पटेल से कम थी, जो कि कानूनी सिद्धांतों के विपरीत है। कोर्ट ने कहा कि गलत व्याख्या या भूल से की गई नियुक्ति को भी सुधारा जाना आवश्यक है।