Crop insurance- एमपी में पीएम फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों से मजाक किया गया है। योजना में कई किसानों को केवल नाममात्र की राशि मिली है। इससे प्रदेशभर के किसान असंतुष्ट हैं और अपनी नाराजगी खुलकर जता रहे हैं। हरदा जिले में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां के एक किसान को पीएम फसल बीमा योजना में महज 23 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से राशि दी गई। नाराज किसानों ने बीमा कंपनी द्वारा भेजी गई धनराशि को विकास कार्यों के लिए दान करते हुए अपना विरोध जताया।
पीएम फसल बीमा योजना को किसानों के हित की योजना बताने का खूब दावा किया जाता है पर हकीकत कुछ और ही है। सर्वे में लेट लतीफी, प्रक्रियागत जटिलताओं और बीमा कंपनियों की मनमानी के कारण किसानों को नाममात्र की बीमा राशि मिल रही है। ऐसे में पूरे प्रदेश में किसानों में गुस्सा है।
फसल बीमा योजना की विसंगति की एक मिसाल हरदा जिले में भी सामने आई है। यहां के एक किसान को महज 23 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से बीमा राशि दी गई। जिले के सोनतलाई गांव के किसान ब्रजमोहन विश्नोई ने 1354 रुपए प्रीमियम भरा था।
बीमा योजना के नाम पर किए गए इस मजाक का किसानों ने विरोध किया। उन्होंने फसल बीमा की राशि वापस करने की पहल की। बीमा कंपनियों को राशि लौटाने किसान जिला मुख्यालय पहुंचे। किसानों का कहना है कि जबर्दस्त नुकसान होने पर भी उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है। बीमा राशि देने के नाम पर किसानों के साथ मजाक किया जा रहा है।
किसानों ने प्रशासन से बीमा राशि का निर्धारण पारदर्शी तरीके से करने और फसल की वास्तविक स्थिति के अनुसार राहत देने की मांग की।
किसान नेता केदार सिरोही बताते हैं कि पीएम फसल बीमा योजना किसानों की बजाए बीमा कंपनियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि कंपनियां इससे करोड़ों कमा रहीं हैं जबकि किसानों को मामूली रकम देकर उनके साथ मजाक किया जा रहा है। बीमा कंपनियों पर सरकार को सख्त रुख अपनाना चाहिए।
Published on:
25 Aug 2025 08:14 pm