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COVID-19 Vaccine : कोविड-19 वैक्सीन कैंसर के मरीजों के लिए बन सकती है वरदान! जानें कैसे

COVID-19 Vaccine : COVID-19 वैक्सीन का चौंकाने वाला फायदा! शोध से पता चला है कि mRNA टीके (Pfizer, Moderna) कैंसर रोगियों को ट्यूमर से लड़ने में मदद कर रहे हैं और जीवित रहने की दर बढ़ा रहे हैं। जानें यह 'डबल अटैक' कैसे काम करता है।

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भारत

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Manoj Vashisth

Oct 23, 2025

COVID-19 Vaccine

COVID-19 Vaccine : COVID वैक्सीन का 'कैंसर कनेक्शन' (फोटो सोर्स: AI image@chatgpt)

COVID-19 Vaccine : जब से COVID-19 वैक्सीन आई ह इसने सिर्फ वायरस से ही नहीं बल्कि अब एक और बड़ी बीमारी से लड़ने की उम्मीद जगा दी है और वह है कैंसर। हाल ही में हुए एक शोध ने सबको चौंका दिया है, जिसमें यह सामने आया है कि फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना (Moderna) जैसी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली mRNA COVID-19 वैक्सीन कुछ कैंसर रोगियों के लिए एक अप्रत्याशित वरदान साबित हो सकती है।

कैसे काम करता है यह डबल अटैक? | COVID-19 Vaccine

यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह मामला COVID संक्रमण से बचाव का नहीं है। असल कहानी वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाले एक खास मॉलिक्यूल, mRNA (मैसेंजर आरएनए) की है।

एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर (MD Anderson Cancer Center) के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों को उन्नत फेफड़ों या त्वचा कैंसर (मेलेनोमा) था और वे चेकपॉइंट इनहिबिटर नामक एक आधुनिक इम्यूनोथेरेपी दवा ले रहे थे, अगर उन्हें इलाज शुरू होने के 100 दिनों के भीतर फाइजर या मॉडर्ना का टीका लगा तो वे दूसरे मरीजों की तुलना में काफी ज्यादा समय तक जीवित रहे।

शोधकर्ताओं के अनुसार: वैक्सीन में मौजूद mRNA, शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं (Immune Cells) के लिए सायरन का काम करता है। यह इम्यून सिस्टम को इतना तेजी से सक्रिय कर देता है कि यह उन ट्यूमर के प्रति भी बेहतर प्रतिक्रिया देता है जो आमतौर पर इम्यून थेरेपी का विरोध करते हैं। आसान शब्दों में कहें तो वैक्सीन कैंसर के इलाज को और भी शक्तिशाली बना देती है!

क्यों जरूरी है यह खोज?

हमारा इम्यून सिस्टम अक्सर कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से पहले ही मार देता है। लेकिन कुछ ट्यूमर चतुर होते हैं, वे इम्यून अटैक से बचने के लिए खुद को छिपा लेते हैं मानो उन्होंने एक अदृश्य चोंगा (cloak) पहन लिया हो। चेकपॉइंट इनहिबिटर उस चोंगे को हटाते हैं। लेकिन कई बार मरीज की प्रतिरक्षा कोशिकाएं फिर भी ट्यूमर को पहचान नहीं पातीं।

mRNA वैक्सीन इस रुकावट को दूर करती है। यह इम्यून कोशिकाओं को जागृत करती है, जिससे वे ट्यूमर को और प्रभावी ढंग से पहचान कर नष्ट करने लगती हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एमडी एंडरसन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एडम ग्रिपिन ने कहा, "हम इम्यून-प्रतिरोधी ट्यूमर को इम्यून थेरेपी के प्रति संवेदनशील बना रहे हैं।"

एमआरएनए: भविष्य की दवा

एमआरएनए कोई नई चीज नहीं है; यह स्वाभाविक रूप से हमारी हर कोशिका में पाया जाता है और प्रोटीन बनाने के लिए आनुवंशिक निर्देश देता है। नोबेल पुरस्कार विजेता यह तकनीक सिर्फ COVID-19 टीकों के लिए नहीं जानी जाती। वैज्ञानिक तो दशकों से कैंसर के लिए व्यक्तिगत mRNA 'उपचार टीके' बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो इम्यून कोशिकाओं को रोगी के ट्यूमर की अनूठी विशेषताओं को पहचानने के लिए प्रशिक्षित कर सकें।

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के एमआरएनए विशेषज्ञ डॉ. जेफ कॉलर (जो इस काम में शामिल नहीं थे) ने कहा, यह नया शोध एक बहुत अच्छा सुराग देता है कि शायद बिना व्यक्तिगत रूप से बनाए गए एमआरएनए टीके भी कैंसर के खिलाफ काम कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि एमआरएनए दवाएं हमें लगातार आश्चर्यचकित कर रही हैं कि वे मानव स्वास्थ्य के लिए कितनी फायदेमंद हो सकती हैं।"

क्या कहते हैं आंकड़े?

शोध टीम ने MD एंडरसन में चेकपॉइंट इनहिबिटर उपचार से गुजर रहे लगभग 1,000 उन्नत कैंसर रोगियों के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया:

फेफड़ों के कैंसर के मरीज: जिन मरीजों को टीका लगा था, वे कैंसर का इलाज शुरू करने के तीन साल बाद भी unvaccinated मरीजों की तुलना में लगभग दोगुने समय तक जीवित रहे।

मेलेनोमा के मरीज: टीकाकृत रोगियों में औसत उत्तरजीविता (median survival) काफी लंबी थी।

अन्य गैर-mRNA टीके (जैसे फ्लू शॉट) से कोई अंतर नहीं आया।

यह खोज इतनी महत्वपूर्ण है कि शोधकर्ता अब एक और कठोर अध्ययन की तैयारी कर रहे हैं ताकि यह पुष्टि की जा सके कि क्या mRNA कोरोनावायरस टीकों को नियमित रूप से कैंसर की दवाओं के साथ दिया जाना चाहिए। भविष्य में वे कैंसर के लिए नए विशेष mRNA टीकों को भी डिज़ाइन करने की योजना बना रहे हैं।

यह शोध चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ी छलांग हो सकता है, जो दिखाता है कि एक वैश्विक महामारी से विकसित हुई तकनीक अब एक और भयानक बीमारी से लड़ने में हमारी मदद कर सकती है! यह कैंसर के इलाज और रोगियों के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण है।