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Urine Based Cancer Test: पेशाब से कैंसर का चलेगा पता, नई खोज से मिलेगा दर्दनाक जांच से राहत

Urine Based Cancer Test: नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए यूरिन-बेस्ड टेस्ट विकसित किया है। यह टेस्ट बिना दर्द और बायोप्सी के कैंसर की शुरुआती पहचान कर सकता है, डिटेल्स के लिए पढ़ें पूरी खबर।

भारत

Rahul Yadav

Sep 03, 2025

Urine Based Cancer Test
Urine Based Cancer Test (Image: Gemini)

Urine Based Cancer Test: पुरुषों में सबसे आम पाए जाने वाले कैंसरों में से एक प्रोस्टेट कैंसर है। यह बीमारी अमेरिका सहित कई देशों में पुरुषों की मौत का दूसरा बड़ा कारण भी मानी जाती है। अब तक इस कैंसर की पुष्टि के लिए डॉक्टरों को बायोप्सी करनी पड़ती थी। बायोप्सी एक दर्दनाक और इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें सुई के जरिए प्रोस्टेट से टिश्यू का नमूना लिया जाता है। कई बार यह प्रक्रिया न सिर्फ तकलीफदेह होती है बल्कि इसके बाद मरीज को संक्रमण या अन्य समस्याओं का भी खतरा रहता है।

इसी बीच वैज्ञानिकों ने एक नई उम्मीद जगाई है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि अब प्रोस्टेट कैंसर का पता सिर्फ पेशाब के टेस्ट से लगाया जा सकेगा। अगर यह तरीका सफल रहा तो लाखों मरीजों को दर्दनाक बायोप्सी से छुटकारा मिल सकता है।

क्या है प्रोस्टेट कैंसर?

प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि होती है जो केवल पुरुषों में पाई जाती है। यह वीर्य द्रव बनाने में मदद करती है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं कंट्रोल से बाहर होकर तेजी से बढ़ने लगती हैं तो उसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। अमेरिकी CDC के आंकड़ों के मुताबिक, हर 100 पुरुषों में से लगभग 13 को अपने जीवन में कभी न कभी प्रोस्टेट कैंसर होता है और करीब 2 से 3 पुरुषों की मौत इसी कारण हो जाती है।

कुछ मामलों में यह कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और तुरंत बड़ा खतरा नहीं बनता जबकि कई बार यह तेजी से फैलकर शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंच जाता है। इसलिए इसकी शुरुआती पहचान बेहद जरूरी है।

नया यूरिन-बेस्ड टेस्ट कैसे काम करता है?

जॉन्स हॉपकिन्स किमेल कैंसर सेंटर और उसके सहयोगी संस्थानों के वैज्ञानिकों ने इस टेस्ट पर शोध किया। उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों और स्वस्थ लोगों के पेशाब के नमूनों का अध्ययन किया है। इसमें तीन खास बायोमार्कर (TTC3, H4C5 और EPCAM) की पहचान हुई है, जो कैंसर की सही-सही जानकारी देते हैं।

सर्जरी से पहले इन बायोमार्कर का लेवल पेशाब में ज्यादा पाया गया जबकि सर्जरी के बाद ये लगभग गायब हो गए। इससे साफ हो गया कि ये बायोमार्कर सीधे प्रोस्टेट से जुड़े हैं। टेस्टिंग में यह तरीका 91% मामलों में कैंसर को सही तरीके से पकड़ने में सफल रहा और 84% मामलों में बता पाया कि मरीज को कैंसर नहीं है।

PSA टेस्ट की सीमाएं

अभी तक कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए PSA ब्लड टेस्ट का इस्तेमाल होता है। PSA एक प्रोटीन है जो प्रोस्टेट में बनता है। लेकिन समस्या यह है कि PSA का स्तर सिर्फ कैंसर की वजह से ही नहीं बढ़ता बल्कि प्रोस्टेट की सूजन या बढ़े हुए आकार (BPH) जैसी स्थितियों में भी बढ़ सकता है। नतीजतन, कई बार मरीज को बेवजह बायोप्सी करवानी पड़ती है और रिपोर्ट निगेटिव आती है।

नया यूरिन टेस्ट PSA टेस्ट से ज्यादा भरोसेमंद साबित हो सकता है। यह प्रोस्टेट कैंसर को सामान्य स्थितियों से अलग पहचान सकता है और PSA नॉर्मल होने पर भी कैंसर पकड़ सकता है।

मरीजों को होगा बड़ा फायदा

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस नए टेस्ट से डॉक्टरों को कैंसर की पहचान करने में ज्यादा आसानी होगी। इससे मरीजों को अनावश्यक बायोप्सी से बचाया जा सकेगा और जिन मरीजों को असली खतरा है उन्हें समय पर इलाज मिल पाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह तरीका बड़े पैमाने पर सफल साबित होता है तो आने वाले समय में प्रोस्टेट कैंसर की जांच का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। यह टेस्ट न सिर्फ आसान और सुरक्षित होगा बल्कि मरीजों की जिंदगी भी बचा सकेगा।

यह रिसर्च अभी शुरुआती स्टेज में है लेकिन अगर भविष्य में इसे लार्ज स्केल पर अपनाया गया तो प्रोस्टेट कैंसर के लाखों मरीजों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं होगा।