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साधारण परिवार से उठकर सैन्य वर्दी तक की प्रेरक यात्रा, गांव के युवाओं के लिए नई दिशा

बेलगावी के मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित अग्निवीरों की पासिंग आउट परेड इस बार कई परिवारों के लिए गर्व और भावनाओं का विशेष क्षण लेकर आई। इन्हीं में शामिल रहे एस.एम. सुब्बानी, जिन्होंने कठिन प्रशिक्षण पूरा कर देश की रक्षा के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए हैं।

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अपने माता-पिता के साथ एस.एम. सुब्बानी।

अपने माता-पिता के साथ एस.एम. सुब्बानी।

बेलगावी के मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित अग्निवीरों की पासिंग आउट परेड इस बार कई परिवारों के लिए गर्व और भावनाओं का विशेष क्षण लेकर आई। इन्हीं में शामिल रहे एस.एम. सुब्बानी, जिन्होंने कठिन प्रशिक्षण पूरा कर देश की रक्षा के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए हैं।

आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के कंबम गांव से आने वाले सुब्बानी एक साधारण, पर मेहनतकश परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता सय्यद मस्तान अली आटो चालक हैं और माता सय्यद नूरजहां गृहिणी हैं। सीमित आय और कठिन परिस्थितियों के बावजूद परिवार ने अपने बेटे के सपनों को कभी छोटा नहीं होने दिया। उनकी यह यात्रा न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा है। यह संदेश भी कि साधारण घरों से निकलने वाले सपने भी वर्दी की चमक तक पहुंच सकते हैं, यदि जज्बा मजबूत हो।

प्रशिक्षण पूरा कर गर्व महसूस
सुब्बानी बताते हैं कि उन्हें इंटरनेट और अन्य माध्यमों से अग्निवीर भर्ती की जानकारी मिली। धीरे-धीरे उन्होंने प्रक्रिया को समझा, तैयारी की और चयनित हो गए। वे कहते हैं, जब मुझे कॉल आया कि प्रशिक्षण के लिए बेलगावी रिपोर्ट करना है, तब लगा कि मेरा सपना सच हो रहा है। आज यह प्रशिक्षण पूरा कर गर्व महसूस हो रहा है।

गांव के 40 युवा सेना में
कंबम गांव के युवाओं में देशसेवा का जज्बा बेहद मजबूत है। लगभग 40 युवा पहले से ही सेना में सेवा दे रहे हैं, जिससे पूरे गांव में प्रेरणा और सकारात्मक माहौल बना हुआ है। सुब्बानी स्वयं भी बचपन से वर्दी की ओर आकर्षित थे और गांव के सैनिकों को सम्मान से देखा करते थे।

परिवार का नाम रोशन
सुब्बानी के माता-पिता भी इस उपलब्धि पर बेहद भावुक नजर आए। परेड के दौरान उनकी मां की आंखों से खुशी के आंसू टपक पड़े। नूरजहां ने कहा, मैंने हमेशा दुआ की थी कि मेरा बेटा बड़ा होकर देश की रक्षा करे। आज वह वर्दी में खड़ा है, इससे ज्यादा खुशी मुझे कभी नहीं मिली। पिता सय्यद मस्तान अली ने मुस्कुराते हुए कहा, हमारी मेहनत सफल हो गई। बेटे ने परिवार का नाम रोशन किया है। लगभग 31 सप्ताह की कठोर शारीरिक और मानसिक ट्रेनिंग के बाद अब सुब्बानी देश की रक्षा के लिए तत्पर हैं। वे कहते हैं, मेरा लक्ष्य है कि जहां भी तैनात किया जाए, पूरी ईमानदारी और साहस से अपना कर्तव्य निभाऊं।