कुत्तों का उपचार
संस्था की विशेषता यह है कि वह न केवल कुत्तों को उपचार देती है, बल्कि उनके स्वस्थ होने पर उन्हें उसी स्थान पर वापस छोड़ देती है, जहां से उन्हें लाया गया था। हाल ही में न्यायालय द्वारा आवारा कुत्तों को लेकर दिए गए नए निर्णय का संस्था ने विरोध जताया है। संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि सभी कुत्तों को किसी शहर से बाहर करना उचित नहीं है। केवल रैबिज फैलाने वाले या आक्रामक स्वभाव के आवारा कुत्तों को ही हटाया जाना चाहिए, जबकि स्वस्थ और शांत कुत्तों को उनके स्थान पर ही रहने दिया जाए। इस संबंध में संस्था ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को पत्र भी लिखा है।
कुत्तों के लिए पक्का शेड
संस्था के पास कुत्तों के लिए पक्का शेड बनाया गया है, जहां उन्हें साफ पानी और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। संस्था पक्षियों और अन्य घायल जानवरों का भी उपचार करती है। संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि अब लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं, और यदि घायल कुत्तों की सूचना समय पर मिल जाए तो उनका इलाज और जल्दी संभव हो पाता है। बीते वर्षों में संस्था ने हजारों कुत्तों और अन्य जानवरों को नया जीवन दिया है। उनके लिए यह केवल सेवा कार्य नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य बन चुका है।
संस्था के पदाधिकारी
पीपल फॉर एनिमल्स के अध्यक्ष तेजराज विनायकिया जैन धुंधाड़ा, उपाध्यक्ष मनोज वेदमूथा, सचिव विक्की राज सिंह कपूर, सह सचिव अभय जैन, कोषाध्यक्ष योगिता विक्की कपूर एवं संयुक्त कोषाध्यक्ष विकास लूंकड़ है। इसके साथ ही राजेन्द्र सुराणा, मनोज वेदमूथा, सुरेश बागरेचा, धनराज मुणोत, रोहित पाटिल, प्रमोदिनी शेेट्टी, लक्ष्मी वेणुगोपाल, सचिन माहेश्वरी एवं संजय मलगी निदेशक है।
पशु चिकित्सकों की सेवाएं
पीपल फॉर एनिमल्स हुब्बल्ली के अध्यक्ष तेजराज विनायकिया जैन धुंधाड़ा ने बताया कि न केवल हुब्बल्ली बल्कि आसपास के इलाकों से भी कई बार दुर्घटना में घायल या बीमार जानवरों के संबंध में सूचना मिलती है। ऐसे जानवरों की समय पर मदद का प्रयास किया जाता है। इन जानवरों का इलाज पूरा होने के बाद उन्हें वापस वहींं छोड़ दिया जाता है जहां से लाए गए थे। इनमें सबसे अधिक कुत्तों का उपचार किया गया है। इसके अलावा घोड़ों, पक्षी, गाय व बछड़ों, बिल्लियां, मोर, बन्दरों का भी उपचार किया गया है। वर्तमान में संस्था के परिसर में करीब 85 कुत्ते हैं। इसके साथ ही अन्य जानवर हैैै। जानवरों को रोजाना तीन समय खाना खिलाया जाता है। जानवरों के लिए शेड लगाकर आवास का निर्माण किया गया है। कई ऐसे पालतु कुत्ते भी हैं जिन्हें उनके मालिक बीमार होने पर आवारा छोड़ देते हैं। ऐसे कुत्तों का भी उपचार करवाया जाता है। यहां पशु चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है। संस्था के पास एक एम्बुलेंस भी है। मृत पशुओंंं के लिए मुक्तिधाम बना है। जहां उनका दाह संस्कार कर दिया जाता है। पहले की तुलना में मौजूदा समय में लोगों में जागरुकता बढ़ी है।
Updated on:
12 Aug 2025 04:19 pm
Published on:
12 Aug 2025 03:24 pm