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‘इंजीनियरिंग स्टूडेंट’ के लिए आई बड़ी खुशखबरी…बदलेगी ‘सिलेबस’ की भाषा

MP News: मध्यप्रदेश के स्टूडेंट अब हिंदी में सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे।

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(फोटो सोर्स: AI Image)

(फोटो सोर्स: AI Image)

MP News: मध्यप्रदेश में तकनीकी शिक्षा स्थानीय भाषा में और सुलभ होती जा रही है। श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसजीएसआइटीएस) इंदौर अगले शैक्षणिक सत्र से सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच को हिंदी माध्यम से भी शुरू करने जा रहा है। इसके लिए 60-60 सीटों की मंजूरी मिल चुकी है।

हिंदी मीडियम में होगी पढ़ाई

उच्च शिक्षा विभाग लंबे समय से प्रदेश में तकनीकी और प्रोफेशनल कोर्स स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराने पर काम कर रहा है। वर्ष 2023-24 में एसजीएसआइटीएस ने बायोमेडिकल ब्रांच को हिंदी माध्यम में शुरू किया था। इसमें 30 सीटों पर प्रवेश दिया जा रहा है। अब सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल में भी हिंदी मीडियम होगा।

संस्थान ने इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच को भी हिंदी माध्यम में शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया है। जल्द ही इस पर अनुमति मिलने की उम्मीद है। यदि सब कुछ तय समय पर हुआ तो अगले सत्र से विद्यार्थियों को पांच इंजीनियरिंग ब्रांच में हिंदी माध्यम से पढ़ाई का विकल्प मिलेगा।

सिलेबस और किताबें होंगी हिंदी में

नए सत्र से लागू होने वाली हिंदी ब्रांचों के लिए बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें एआइसीटीई के मानकों के आधार पर सिलेबस तैयार किया जाएगा। इसके बाद किताबों का हिंदी अनुवाद करवाने की प्रक्रिया शुरू होगी। उधर, संस्थान केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के कॅरियर पर भी ध्यान दे रहा है।

एकेडमिक डीन प्रो. ललित पुरोहित का कहना है कि हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को भविष्य में परेशानी न हो, इसलिए कुछ ऐसे सहायक पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) शुरू करने पर विचार किया जा रहा है, जो उन्हें न केवल तकनीकी पढ़ाई, बल्कि ग्राउंड लेवल पर काम करने में भी मदद करेंगे।

स्थानीय भाषा का लाभ

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग को समझने में आसानी होगी। यह कदम स्किल डवलपमेंट और लोकल इंडस्ट्रीज में काम करने की क्षमता को मजबूत करेगा। वहीं, संस्थान का फोकस प्लेसमेट पर भी है। इसके लिए इंडस्ट्री से चर्चा की जा रही है कि हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थियों में किन स्किल्स की जरूरत होगी। उसी के अनुरूप इन विद्यार्थियों को तैयार किया जाएगा, जिससे उनके सामने प्लेसमेंट का संकट नहीं होगा।