JEE Advanced Result: देश की सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस्ड-2025 के रिजल्ट में मध्यप्रदेश के बच्चों ने भी अपना दम दिखाया है। इंदौर और बुरहानपुर के स्टूडेंट ने टॉप लिस्ट में जगह बनाई है।
बुरहानपुर के माजिद मुजाहिद हुसैन को ऑल इंडिया रैंक- 3 मिली है। इंदौर के दो विद्यार्थी चिरायु जैन और हर्षिता गोयल ने परचम लहराया।
जेईई एडवांस्ड 2025 में 1 लाख 80 हजार 442 छात्र शामिल हुए, इनमें 54,378 विविध श्रेणियों में क्वालीफाई हुए। 30 प्रतिशत विद्यार्थियों का क्वालीफाई करना रेकॉर्ड है। लेकिन इस बार क्वालीफाइंग कटऑफ 35 अंक गिरा। यह 3 साल का न्यूनतम स्तर है। 2025 में कॉमन रैंक लिस्ट में क्वालीफाइंग कटऑफ 74 अंक हैं।
बुरहानपुर के माजिद मुजाहिद हुसैन ने कहा, जो सपने देखते हैं, उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करेंगे तो जरूर सफलता मिलेगी। मैंने बचपन से ही इंजीनियर बनने का सपना बुना। रोज 15 घंटे पढ़ाई की। दो साल से मोबाइल को हाथ नहीं लगाया। जेईई मेंस में भी माजिद 99.92 प्रतिशत के साथ प्रदेश टॉपर थे। पिता मुजाहिद हुसैन एसएसबीटी कॉलेज में सिविल इंजीनियर एचओडी हैं। मां सकिना हुसैन एमबीए प्रोफेसर हैं। उन्होंने हमेशा प्रेरणा दी।
इंदौर के दो विद्यार्थी चिरायु जैन और हर्षिता गोयल ने परचम लहराया। चिरायु ने ऑल इंडिया रैंक 28 व सिटी रैंक-1 हासिल की है। वहीं, हर्षिता ने गर्ल्स कैटेगरी में बाजी मारी है। उनकी ऑल इंडिया रैंक 434 है। जेईई एडवांस के नतीजों के साथ ही प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों आइआइटी और एनआइटी में प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है। परीक्षा में क्वालिफाई करने वाले विद्यार्थी जॉइंट सीट अलोकेशन अथॉरिटी की काउंसलिंग में शामिल हो पाएं।
इस बार इंदौर के चिरायु जैन ने ऑल इंडिया रैंक-28 के साथ सिटी रैंक-1 हासिल की है, वहीं हर्षिता गोयल ने गर्ल्स कैटेगरी में आइआइटी कानपुर जोन में टॉप किया है। विद्यार्थियों की इस सफलता का सेलिब्रेशन कोचिंग संस्थानों में जमकर मना। कहीं बच्चों ने केक कटिंग की तो कहीं ढोल पर डांस किया।
पाई बड़ी सफलता ऑल इंडिया रैंक 28 लाने वाले चिरायु जैन की कहानी एक सच्चे फाइटर की है। माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं, लेकिन उन्होंने बेटे पर कभी दबाव नहीं डाला। चिरायु ने 5वीं कक्षा में ही तय कर लिया था 'मैं आइआइटी जाऊंगा'। छठी से ओलंपियाड की तैयारी शुरू की, 8वीं में एनएसईआइएस क्लियर किया व 11वीं से जेईई की राह पर बढ़े। 12वीं में उनके माक्र्स गिरे तो लगा कि शायद सपना पूरा नहीं हो पाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी मां से बात की और वहीं से कहानी बदल गई। टीचर्स ने मोटिवेट किया। उन्होंने खुद पर काम किया, कॉन्फिडेंस बढ़ाया, कमजोर विषयों पर ध्यान दिया। चिरायु ने टॉपर बनने के लिए पढ़ाई नहीं की, उन्होंने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत की और उनका लक्ष्य आइआइटी था। आज वह उन सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बन गए है, जो मुश्किल हालात देखकर अपना लक्ष्य बदल लेते हैं या हार मान लेते हैं। अब चिरायु आइआइटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस करना चाहते हैं।
Updated on:
03 Jun 2025 12:27 pm
Published on:
03 Jun 2025 12:21 pm