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MP News: नगर निगम में करीब 20 वर्ष से काम कर रहे हजारों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संकट में हैं। प्रदेश शासन बार-बार उनकी जानकारी मांग रहा है। कर्मचारी संगठन आशंका जता रहे हैं कि पूर्व के आदेश के आधार पर उन्हें कार्यमुक्त किया जा सकता है। वर्ष 2000 में दैनिक वेतन पर कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगाई थी।
अभी जारी हुए आदेश में ऐसे कर्मचारियों की बिंदुवार जानकारी मांगी गई है। कर्मचारियों को डर है कि नियुक्ति दिनांक की जानकारी मिलने के बाद पूर्व के आदेश का हवाला देकर उन्हें कार्यमुक्त न कर दिया जाए। निगम में 10 हजार से अधिक दैनिक वेतन भोगी हैं। यह संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा है। कुछ समय से इनके नियमितीकरण की प्रक्रिया अपनाई गई है।
शासन ने वर्ष 2000 में इनकी नियुक्ति पर रोक लगाई थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने वर्ष 2004 में फिर नियुक्ति दे दी थी। हाल ही में वर्ष 2000 के आदेश का हवाला देकर प्रदेश के सभी नगर पालिक निगम, नगर परिषद और अन्य से जानकारी मांगी है। पत्र में लिखा है कि दैनिक वेतन पर किसी भी प्रकार की नियुक्ति न करने के संबंध में आदेश जारी किया गया था।
उस आधार पर यह आदेश सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, मंडलों, नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरण तथा सहकारी संस्थाओं पर लागू होगा। कुछ निकायों में दैनिक वेतन पर नियुक्तियां की गई हैं, जो निर्देशों का उल्लंघन है, इसलिए 28 मार्च 2000 के बाद नगरीय निकायों में नियुक्त किए गए दैनिक वेतनभोगियों की जानकारी शासन को भेजें।
राज्य शासन ने 25 अक्टूबर तक जानकारी मांगी थी, लेकिन आदेश का विरोध होने पर कुछ दिन मामला शांत रहा। एक बार फिर सभी निगमों के आयुक्त को स्मरण पत्र भेजा गया है। शासन के पत्र में वर्ष 2000 का वह आदेश भी संलग्न है, जो तत्कालीन प्रमुख सचिव वीएन कौल ने जारी किया था। आदेश में दैनिक वेतन पर नियुक्ति न करने का हवाला दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पहले नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, अपर मुख्य सचिव संजय दुबे, अन्य जनप्रतिनिधियों और मंत्रालय स्तर के अफसरों की बैठक हुई थी। इसमें निगमों में आर्थिक स्थिति का मुद्दा उठा और जोर दिया गया कि वेतन बांटने में दैनिक वेतनभोगियों को लेकर संकट है। वित्त विभाग के पुराने आदेश का जिक्र भी हुआ। आशंका है कि इसी बैठक में निकले पुराने आदेश का हवाला देकर कर्मचारियों पर प्रतिबंध या उनकी छंटनी का रास्ता निकाला गया है।
मस्टर कर्मचारी संघ के संयोजक व संवाद प्रमुख प्रवीण तिवारी ने कहा कि कुछ दिन पहले छिंदवाड़ा में कमेटी बनाई थी, जो वहां दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की जांच कर रही है। दो महीने से ऐसे कर्मचारियों की नियुक्ति दिनांक की जानकारी मांगी जा रही है। इसे लेकर प्रदेशभर में कर्मचारियों में भय है। कर्मचारी 20 वर्ष से अधिक समय से निगम में काम कर रहे हैं। कुछ को तो विनियमित भी किया गया है। कुछ की प्रक्रिया चल रही है।
ऐसे में यह आदेश इशारा कर रहा है कि निगम में दैनिक वेतन पर काम कर रहे कर्मचारियों को हटाया जा सकता है। संगठन उन्हें कार्यमुक्त नहीं होने देगा। जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल विभागीय मंत्री और सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर इसके निराकरण की मांग करेगा।
Published on:
25 Nov 2025 02:14 pm
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