
health insurance companies fined heavily (फोटो सोर्स : सोशल मीडिया)
MP News: पॉलिसी धारकों को पैसा नहीं देना मेडिक्लेम करने वाली स्टार इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस और आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी(Health Insurance Company) को भारी पड़ गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने बीमा कंपनियों को ब्याज सहित काटा गया पैसा देने के आदेश के साथ ही जुर्माना भी लगाया है। इंदौर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग-2 के न्यायिक सदस्य लालजी तिवारी ने बताया, बीमा कंपनियों से जुड़े दो अलग-अलग मामले आयोग के समक्ष आए थे।
ग्राम हरसोला तहसील महू निवासी संदीप हारोड ने परिवाद प्रस्तुत किया था। उनका आरोप था कि मां सुशीलाबाई का उन्होंने आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से 50 लाख का दुर्घटना बीमा करवाया था। इसमें 3 साल के लिए कवर किया था। एक्सीडेंट में उनकी मां की 16 नवंबर 2019 को मृत्यु हो गई। इसके एवज में क्लेम का दावा लगाया। बीमा के आठ माह में मृत्यु होने पर कंपनी ने जांच करवाई। अन्य इंश्योरेंस कंपनियों ने पूर्व में उनकी मां की आय और व्यवसाय में अंतर के चलते क्लेम खारिज कर दिए थे। इसी आधार पर आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने भी उनका दावा खारिज कर दिया।
आयोग ने इस फैसले को गलत करार देते हुए परिवादी को 50 लाख की राशि देने के साथ 20 नवंबर 2020 से भुगतान की तारीख तक 6 फीसदी ब्याज देने का आदेश दिया है। साथ ही परिवादी को हुई असुविधा और मानसिक क्षति के लिए 50 हजार और परिवाद व्यय के तौर पर 25 हजार अलग से देने होंगे।
न्यू पलासिया निवासी काम्या जैसवानी ने परिवाद लगाया था। इसमें उन्होंने बताया कि स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी की मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी। इसमें 40 लाख का कवर दिया गया। अप्रेल 2021 में उन्हें कोरोना हो गया। इंदौर के हॉस्पिटल में इलाज के बाद में उन्हें एयरलिफ्ट कर हैदराबाद रेफर किया गया। उन्होंने इंदौर के अस्पताल में खर्च 6.75 लाख और हैदराबाद के अस्पताल में खर्च 47.82 लाख का क्लेम लगाया, लेकिन कंपनी ने इंदौर में इलाज पर खर्च राशि में से 1.87 लाख और हैदराबाद में खर्च राशि से 24.86 लाख की कटौत्री कर दी। मामला बीमा लोकपाल तक भी गया, लेकिन उन्हें राशि नहीं मिली।
सुनवाई में बीमा कंपनी ने बताया कि कंपनी के नियम और शर्तों के मुताबिक राशि का भुगतान किया था। आयोग के अध्यक्ष विकास राय सहित दोनों न्यायिक सदस्यों ने इसे गलत मानते हुए बीमा कंपनी को 8 लाख 28 हजार 831 रुपए चुकाने के आदेश दिए। भुगतान तक 8त्न वार्षिक दर से साधारण ब्याज भी देना होगा।
Published on:
01 Oct 2025 12:29 pm
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