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रेजिन मार्बल की मूर्तियां बनाने वाला प्रदेश का इकलौता आर्टिस्ट बना भेड़ाघाट का युवा- देखें वीडियो

The artist : राहुल सेन ने पांच साल पहले खुद सीखा और 15 युवाओं, महिलाओं को जोड़ा, आज हजारों मूर्तियां बनाने का काम

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The artist : राहुल सेन ने पांच साल पहले खुद सीखा और 15 युवाओं, महिलाओं को जोड़ा, आज हजारों मूर्तियां बनाने का काम

  • उनके स्टार्टअप को मिल रही राष्ट्रीय स्तर की पहचान, महाराष्ट्र, बंगाल और दक्षिण भारत के पर्यटकों में सबसे ज्यादा डिमांड
  • मार्बल पावडर की मूर्तियां और फिनिशिंग के साथ खूबसूरती देखते ही बन रही, पर्यटकों को खूब पसंद आ रहा ये आर्ट

The artist : कोरोना काल की आपदा ने बहुत से लोगों को खुद को संवारने के अवसर भी दिए। ऐसे ही एक युवा का नाम है राहुल सेन, जो पेशे से मार्बल आर्ट का काम तीन पीढिय़ों से करते चले आ रहे हैं। उन्होंने न केवल खुद को संभाला बल्कि एक दर्जन से ज्यादा स्थानीय युवकों, महिलाओं को भी अपने साथ जोडकऱ उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया। आपदा में मिले अवसर के बाद वे प्रदेश के इकलौते रेजिन मार्बल की मूर्तियां बनाने वाले आर्टिस्ट भी बन गए हैं। उनकी बनाई मूर्तियों की डिमांड अब प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में होने लगी है।

The artist : दादा पिता से मिला हुनर, खुद बना कलाकार

राहुल सेन ने बताया सॉफ्ट मार्बल की मूर्तियां आर्ट बनाने का काम उनके दादा ने शुरू किया था, फिर उनके पिता और वे भी इसी काम से जुड़ गए। हम लोग शुरू से ही भेड़ाघाट और जबलपुर की अन्य मूर्ति बेचने वाली दुकानों में होलसेल सप्लाई का काम करते थे। इस बीच इंदौर से रेजिन की बनी मूर्तियां लेने जाता था। जिनकी भेड़ाघाट आने वाले पर्यटकों में डिमांड बढ़ती जा रही थी। लेकिन महंगी होने से दुकानदारों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता था। फिर मैंने इंदौर रहकर खुद इस काम को सीखा।

The artist : मार्बल का साथ नहीं छोड़ा

राहुल ने बताया कोरोना काल के बाद मूर्तियों की कीमतें बढ़ीं तो यहां के लोगों ने दिलचस्पी लेना कम कर दिया था। फिर विचार आया कि बाहर से आने वाली रेजिन की बनी मूर्तियां हल्की होती हैं जो टूटने के बाद जुड़ती भी नहीं। वहीं जयपुर, मुंबई से आने वाली फाइबर की मूर्तियां भी महंगी होने के साथ कच्ची होती थीं। चूंकि मैं मार्बल आर्ट से जुड़ा रहा हूं तो नई तकनीक पर काम करते हुए रेजिन मार्बल की मूर्तिंया बनाने लगा। जो फिनिशिंग के साथ मजबूत भी होती हैं। ये देखने में हूबहू मार्बल की दिखाई देती हैं। पूरे प्रदेश और महाकौशल में राहुल के अलावा रेजिन मार्बल की मूर्तियां कोई और नहीं बनाता है।

The artist : स्टार्टअप से खुद बने आत्मनिर्भर, दूसरों को भी दिया अवसर

कोरोना काल के बाद राहुल ने अपना स्वयं का रेजिन मार्बल आर्ट का स्टार्टअप शुरू किया। जहां मार्बल और रेजिन मिक्स सुंदर मूर्तियां बनाने का काम होता है। इसमें राहुल खुद तो आत्मनिर्भर बने, साथ ही उन्होंने 15 स्थानीय युवाओं, युवतियों व महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ दिया है। मूर्तियों को जीवंत बनाने के लिए राहुल ने जयपुर से विशेष पेंटर बुलाया हुआ है। हर साल ये हजारों छोटी बड़ी मूर्तियां बनाकर भेड़ाघाट सहित महाराष्ट्र, बंगाल, गुजरात, दक्षिण भारत और मप्र के कई जिलों में सप्लाई भी कर रहे हैं।

The artist : कीमतों में आया भारी अंतर

स्थानीय स्तर पर बनीं रेजिन मार्बल की मूर्तियां बाहर से आने वाली रेजिन और फाइबर की मूर्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक मजबूत और सुंदर तो हैं ही, साथ में इनके दामों में 30 से 40 प्रतिशत तक का अंतर भी है। जो एक फीट का राम दरबार पहले 15 से 20 हजार का मिलता था, वो अब 10 से 15 हजार के बीच मिल जाता है।