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दल्ली राजहरा-रावघाट रेल प्रोजेक्ट अटका, जिलेवासियों को रेल सेवा के लिए करना होगा और इंतजार

CG News: परियोजना का पहला चरण दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर लंबा है। वर्तमान में रेल लाइन ताडोकी तक ही पहुँच पाई है।

दल्ली राजहरा-रावघाट रेल प्रोजेक्ट (Photo source- Patrika)
दल्ली राजहरा-रावघाट रेल प्रोजेक्ट (Photo source- Patrika)

CG News: दल्ली राजहरा से जगदलपुर तक रेल लाइन बिछाने का सपना अब भी अधूरा है। 2015 में नए एमओयू के तहत काम शुरू होने के बाद 10 साल का समय बीत चुका है, लेकिन परियोजना के पहले चरण दल्ली राजहरा से रावघाट (सरंगीपाल) तक रावघाट रेल प्रोजेक्ट पूर्ण नहीं हो पाया है। इसमें अभी भी लगभग 15 किलोमीटर पटरी बिछाने का कार्य शेष है। इससे रावघाट तक ट्रेन पहुँचने में और देर होना तय मानी जा रही है। इससे जिलेवासियों को रेल सेवा के लिए ओर इंतजार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

CG News: करीब 25 पुल-पुलियों का निर्माण होना है…

जानकारी के अनुसार दल्ली राजहरा-रावघाट-जगदलपुर तक 240 रेलवे लाइन निर्माण के लिए 2015 में एमओयू हुआ था। इस एमओयू के रेल लाइन निर्माण को 2 चरणों मे बाटा गया था। इसमे पहले चरण में दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर रेल लाइन निर्माण होना था। वही दूसरे चरण में रावघाट से जगदलपुर तक रेल लाइन निर्माण होना था। लेंकिन 10 साल बीतने के बावजूद पहले चरण का काम पूरा नहीं हो पाया है।

इसमें ताडोकी से रावघाट तक 15 किलोमीटर रेल लाइन निर्माण शेष बचा है। इस 15 किलोमीटर में करीब 25 पुल-पुलियों का निर्माण होना है। इन पुल-पुलियों का निर्माण शुरू करने के लिए ठेकेदार कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है की रेल लाइन के निर्माण का कार्य किस गति से चल रहा है। इसमें पहले चरण काम पूरा नहीं हो पाया, तो दूसरे चरण के निर्माण कार्य की बात करना बेइमानी साबित होगा।

पहला चरण : रावघाट तक 95 किमी

परियोजना का पहला चरण दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर लंबा है। वर्तमान में रेल लाइन ताडोकी तक ही पहुँच पाई है। ताडोकी से रावघाट तक 15 किलोमीटर का हिस्सा अभी अधूरा है। यही हिस्सा सबसे अहम भी है, क्योंकि यहीं से आगे दूसरे चरण का काम जुड़ना है।

दूसरा चरण: जगदलपुर तक 145 किमी

रावघाट से जगदलपुर तक 145 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बननी है, जो नारायणपुर, कोंडागांव, भानपुरी और बस्तर होकर जगदलपुर पहुँचेगी। रावघाट स्टेशन इस पूरे नेटवर्क का मुय जंक्शन बनने वाला है। लेकिन पहले चरण के अधूरा रहने से दूसरे चरण का काम भी अटक गया है।

दल्ली राजहरा से जगदलपुर तक रेललाइन बिछाने पहले चरण में दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर लंबी रेल लाइन निर्माण के लिए 134.96 करोड रुपए लगने थे। लेकिन दिसंबर 2007 में यह लागत बढ़कर 304.3 करोड रुपए हो गई। वही दूसरे चरण में रावघाट से जगदलपुर तक 145 किलोमीटरलंबी रेल लाइन बिछाने का काम किया जाना था।

इसके लिए 234.4 करोड रुपए की लागत आनी थी जो अब बढ़कर 1662 करोड़ रुपए हो चुकी है। इससे दल्ली राजहरा जगदलपुर रेल लाइन परियोजना की लागत 2 हजार 539 करोड रुपए हो चुकी थी। लेकिन 2025 में केंद्र सरकार ने इस परियोजना में 975 करोड़ रुपए बढ़ाकर इसकी लागत 3 हजार 513 करोड़ कर दी है। इस तरह दिनों दिन परियोजना की लागत में इजाफा हो रहा है। इसके बावजूद निर्माण कार्य कछुआ गति से हो रहा है।

सरकार की चुप्पी

जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने कई बार इस मामले को उठाया, लेकिन राज्य सरकार और संबंधित सार्वजनिक उपक्रमों की ओर से ठोस पहल देखने को नहीं मिली। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिर्फ चुनाव में यह मुद्दा उठता है।

स्टेशन निर्माण में देरी

रावघाट (सरंगीपाल) में बड़ा स्टेशन बनाया जा रहा है, लेकिन इसकी रतार भी बेहद धीमी है। इसे कम से कम 1 से डेढ़ वर्ष और लग सकते हैं। पटरी बिछाने का काम पूरा हो भी जाए तो भी स्टेशन की अनुपलब्धता के चलते यात्री और मालगाड़ियां यहां से शुरू नहीं हो पाएंगी।

रेल लाइन से फायदा

बस्तर और राजधानी रायपुर के बीच यात्रा 6 से 8 घंटे में ट्रेन से पूरी हो जाएगी

लौह अयस्क, वन उपज और कृषि उत्पाद की ढुलाई आसान

पर्यटन स्थलों तक बेहतर पहुंच

उद्योगों और रोजगार के नए अवसर

CG News: इस परियोजना में पाँच सार्वजनिक उपक्रम और राज्य सरकार साझेदार हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि सभी की कार्यशैली में उदासीनता साफ झलक रही है। समय-सीमा का पालन नहीं हो रहा और न ही प्रगति की नियमित समीक्षा की जा रही है। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि अधिकारियों और एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी ने इस काम को वर्षों पीछे धकेल दिया है।

परियोजना का महत्व

यह रेल लाइन न केवल बस्तर संभाग को बाकी छत्तीसगढ़ और देश से जोड़ने का काम करेगी, बल्कि रावघाट की लौह अयस्क खदानों से निकाले जाने वाले खनिज को भी सीधे भिलाई इस्पात संयंत्र और अन्य औद्योगिक केंद्रों तक पहुँचाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह परियोजना समय पर पूरी होती, तो अब तक बस्तर में आर्थिक गतिविधियों में बड़ा बदलाव आ चुका होता।

स्थानीय उमीदें अधर में

नारायणपुर और आस-पास के इलाकों के लोग इस रेल लाइन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनका मानना है कि रेल सेवा शुरू होने से न केवल यात्री आवागमन आसान होगा, बल्कि लौह अयस्क, लकड़ी और अन्य संसाधनों की ढुलाई में भी तेजी आएगी। इससे क्षेत्र में औद्योगिक विकास और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।