CG News: बस्तरवासियों की सेहत से खिलवाड़ जारी है। बस्तर स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा है। लंबे वक्त से यहां के सरकारी अस्पतालों में जीवनरक्षक दवाओं की कमी बनी हुई है। मौजूदा समय में समूचे बस्तर संभाग में डॉग बाइट के केस बढ़ गए हैं। बस्तर के हर जिला अस्पताल में प्रतिदिन 8 से 10 डॉग बाइट के केस सामने आ रहे हैं।
यह आंकड़े खुद अस्पतालों के जिम्मेदार बता रहे हैं क्योंकि वे खुद भी जीवनरक्षक दवाओं के अभाव से परेशान हैं। दरअसल सरकारी अस्पतालों को दवाएं व जरूरी वैक्सिन सप्लाई करने वाली सीजीएमएसई संस्था ने दवा सप्लाई करने वाली कंपनियों का करोड़ों का भुगतान रोका हुआ है इस वजह से दवाओं की किल्लत बनी हुई है। डॉग बाइट की स्थिति जानलेवा होती है। ऐसे मामलों में रेबिज का इन्फेक्शन पीड़ित में तेजी से फैलता है बावजूद इसके सरकारी अस्पताल समय पर पीड़ित को एंटी रेबिज वैक्सिन नहीं दे पा रहे हैं।
डॉग बाइट के बाद लोग सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन वहां सिर्फ उनके ड्रेसिंग की व्यवस्था है। इसके बाद एंटी रेबिज वैक्सिन बाजार से लाकर अस्पतालों को देना पड़ रहा है। अगर कोई गरीब व्यक्ति डॉग बाइट का शिकार हो जाए तो उसे 4500 रुपए वैक्सिन खरीदने के लिए खर्च करने होंगे। डॉग बाइट के बाद तीन डोज एंटी रेबिज वैक्सिन के लगवाने पड़ते हैं।
सभी जिलों के सीएमएचओ को जीवनरक्षक दवाओं की लोकल पर्चेसिंग करने का अधिकार है, लेकिन इससे जुड़ा भ्रष्टाचार भी व्यापक रूप ले चुका है। इस वजह से अब इनके अधिकार सीमित कर दिए गए हैं और समस्या अब और बड़ी हो चुकी है। किसी गरीब व्यक्ति को अगर रेबिज के वैक्सिन की जरूरत पड़ जाए तो सीएमएचओ एंटी रेबिज वैक्सिन की खरीदी लोकल मार्केट से नहीं कर पाएंगे।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री पिछले दिनों बस्तर संभाग के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने जगदलपुर में एक बड़ा दावा करते हुए कहा था कि बस्तर के मरीजों को अब दीगर राज्यों में उपचार के लिए नहीं जाना होगा। हम यहीं पर बेहतर सुविधा देने जा रहे हैं। मंत्री के इस बयान में कितना दम है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बस्तर के सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबिज वैक्सिन, मलेरिया जांच किट, डेंगू जांच किट की उपलब्धता शून्य है। महानगरों जैसी स्वास्थ्य सुविधा का दावा यहां खोखला साबित हो रहा है।
Published on:
11 Aug 2025 03:01 pm