Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

बार काउंसिल चुनाव में बस्तर को बड़ा झटका, 60 से अधिक सदस्यों के नाम वोटर लिस्ट से गायब

State Bar Council Elections: इस मुद्दे पर बस्तर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरूण दास ने कहा है कि इस पर स्टेट पदाधिकारियों से बात की गई है। संसोधन लिस्ट जल्द आ सकती है।

स्टेट बार काउंसिल चुनाव (Photo source- Patrika)
स्टेट बार काउंसिल चुनाव (Photo source- Patrika)

State Bar Council Elections: स्टेट बार काउंसिल के आगामी चुनाव में बस्तर क्षेत्र को बड़ा झटका लगा है। जारी मतदाता सूची से 60 से अधिक सदस्यों के नाम गायब पाए गए हैं, जिससे क्षेत्र के अधिवक्ता समुदाय में रोष फैल गया है। यह चुनाव 11 साल बाद आयोजित हो रहा है, जो प्रदेशस्तर पर आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन है, लेकिन मतदाता सूची में हुई इस गंभीर चूक ने वकीलों के बीच चिंता और असंतोष को बढ़ा दिया है।

हालांकि इस चुनावी मैदान में शामिल एल. ईश्वर राव ने कहा है कि इसके लिए बातचीत चल रही है। आशा है कि बाकी लोगों के नाम भी जुड़ जाएंगे। वहीं उन्होंने इस चुनाव के लिए अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।

State Bar Council Elections: अध्यक्ष बोले संसोधन के लिए कहा गया है…

इस मुद्दे पर बस्तर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरूण दास ने कहा है कि इस पर स्टेट पदाधिकारियों से बात की गई है। संसोधन लिस्ट जल्द आ सकती है। उनका कहना है कि नामों के गायब होने से कई वरिष्ठ और अनुभवी वकीलों को वोट देने या चुनाव में भाग लेने से वंचित किया जा सकता है, जो बस्तर के वकील समुदाय के हितों के खिलाफ है। उन्होंने स्टेट बार काउंसिल से आग्रह किया है कि वह इस गड़बड़ी की त्वरित जांच करे और लापता नामों को सूची में शामिल करे, ताकि बस्तर का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

चुनावी भागीदारी पर उठ रहे सवाल

State Bar Council Elections: स्टेट बार काउंसिल में कुल 537 से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं, लेकिन स्टेट से प्राप्त वोटर लिस्ट में केवल 472 लोगों के नाम ही शामिल हैं। इस भारी अंतर ने बस्तर के वकीलों को हैरानी में डाल दिया है। इस बार बस्तर से एल. ईश्वर राव और अशोक कुमार कोमरा ने सदस्य पद के लिए नामांकन दायर किया है, लेकिन नामों के छूटने से इन उम्मीदवारों और अन्य वकीलों के चुनावी भागीदारी पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय वकील नेताओं का कहना है कि यह अनियमितता चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगाती है।

11 साल बाद हो रहा चुनाव, कनिष्ठ वकील ने कहा नाम जोडऩे का दिया था आवेदन

मालूम हो कि यह चुनाव 11 साल बाद हो रहा है। इसलिए भी इस चुनाव का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सोमवार को एक साल पहले से जिला बार काउंसिल के सदस्य बने अनुराग मिश्रा ने कहा कि उन्होंने नाम जोडऩे के लिए अधिवक्ता संघ के द्वारा मांग गए फार्म को भरकर जमा किया था।