Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को 'राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025' को भारी हंगामे और विपक्ष की नारेबाजी के बीच पारित कर दिया गया। इस बिल के तहत जबरन, धोखे या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कठोर सजा के प्रावधान किए गए हैं, जिसमें आजीवन कारावास और भारी जुर्माने तक शामिल हैं।
इसके साथ ही, धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं के भवनों पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान भी पहली बार किया गया है। बिल पास होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही 10 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
'राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025' में कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो इसे फरवरी 2025 में पेश किए गए पिछले बिल से कहीं अधिक कठोर बनाते हैं। नए बिल में सजा और जुर्माने की राशि को कई गुना बढ़ाया गया है। इसके प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
सामान्य धर्मांतरण: जबरन, धोखे या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने पर 7 से 14 साल की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना।
विशेष मामले: नाबालिग, दिव्यांग, महिला, अनुसूचित जाति (SC) या जनजाति (ST) के लोगों का धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना।
सामूहिक धर्मांतरण: सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना।
विदेशी फंडिंग: विदेशी या अवैध संस्थानों से फंड लेकर धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की कैद और 20 लाख रुपये का जुर्माना।
दोहराया गया अपराध: बार-बार धर्मांतरण के अपराध में शामिल होने वालों को आजीवन कारावास और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना।
शादी के जरिए धर्मांतरण: यदि शादी का उद्देश्य केवल धर्मांतरण है, तो ऐसी शादी को कानूनी रूप से अवैध घोषित किया जाएगा।
बुलडोजर एक्शन: धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं के भवनों को सीज करने और नियमों के उल्लंघन या अतिक्रमण के मामले में तोड़ने का प्रावधान। सामूहिक धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल होने वाली संपत्ति को प्रशासन द्वारा जब्त किया जाएगा।
बिल के तहत धर्म परिवर्तन से 90 दिन पहले जिला कलेक्टर या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, धर्मांतरण कराने वाले धर्माचार्य को भी दो महीने पहले नोटिस देना होगा। बिल के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती माना गया है, यानी पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और जमानत मिलना मुश्किल होगा।
वहीं, इस बिल में स्पष्ट किया गया है कि 'घर वापसी', यानी किसी व्यक्ति का अपने मूल धर्म में लौटना, धर्मांतरण की श्रेणी में नहीं आएगा। यह प्रावधान उन लोगों को राहत देता है जो स्वेच्छा से अपने मूल धर्म में वापस लौटना चाहते हैं।
बताते चलें कि बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस ने बहस में हिस्सा नहीं लिया और नारेबाजी करते हुए सदन में हंगामा किया। गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह बिल हमारी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए है। सभी को अपने पसंद के धर्म को चुनने का अधिकार है, लेकिन जबरन, छल, कपट या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने का अधिकार किसी को नहीं है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें जबरन धर्मांतरण को गैर-कानूनी बताया गया है। बेढम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग छिपे हुए एजेंडों के तहत बिल का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल समाज के कमजोर वर्गों, जैसे दलित, शोषित, वंचित, दिव्यांग और महिलाओं को जबरन धर्मांतरण से बचाने के लिए बनाया गया है।
आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा और पुलिस इसका दुरुपयोग करेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि नोटिस की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए इसे अखबारों में प्रकाशित किया जाए।
वहीं, भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने बहस के दौरान विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि जो विधायक धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, जैसे रफीक खान और कागजी, उन्हें अपने मूल धर्म में वापस लौटना चाहिए। उन्होंने सदन में अतिरिक्त कैमरे लगाए जाने के मुद्दे पर भी कांग्रेस पर निशाना साधा।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बिल पर चर्चा से पहले सदन में अतिरिक्त कैमरे लगाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आपके पास बहुमत है, आप हर बिल पास करा लेंगे, लेकिन हमें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा। ये कैमरे किस फंड से लगे हैं? क्या हमारी निजता का हनन नहीं हो रहा? जूली ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है।
इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार सदन की गरिमा बनाए रखना चाहती है और किसी की निजता का हनन नहीं चाहती। उन्होंने विपक्ष से सार्थक बहस में हिस्सा लेने और रचनात्मक सुझाव देने की अपील की।
राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन विधेयक का मुख्य उद्देश्य बल, धोखाधड़ी, लालच या शादी के झांसे के जरिए होने वाले धर्मांतरण को रोकना है। यह बिल विशेष रूप से कमजोर वर्गों को लक्षित करने वाले अवैध धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए बनाया गया है। बिल में बुलडोजर एक्शन जैसे सख्त प्रावधानों को शामिल करके सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
फरवरी 2025 में पेश किए गए पिछले धर्मांतरण विरोधी बिल में अधिकतम 5 से 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान था। नए बिल में सजा और जुर्माने को कई गुना बढ़ाकर इसे और सख्त किया गया है। इसके अलावा, बुलडोजर चलाने और शादी के जरिए धर्मांतरण को अवैध घोषित करने जैसे नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
Updated on:
12 Sept 2025 04:06 pm
Published on:
09 Sept 2025 04:59 pm