
Voter List Revision 2026: जयपुर. जहां एक ओर राज्य के कुछ हिस्सों से बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) के काम के अत्यधिक दबाव में आकर आत्महत्या जैसी दुखद घटनाएं सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे उदाहरण भी उभरकर सामने आए हैं जो यह साबित करते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी साहस, समर्पण और सकारात्मक सोच इंसान को असाधारण बना देती है। चित्तौड़गढ़ जिले के बीएलओ इसका जीवंत प्रमाण हैं, जिन्होंने विशेष संक्षिप्त गहन पुनरीक्षण-2026 अभियान के दौरान चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए प्रेरणा की नई कहानी लिखी है।
4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चल रहे इस अभियान में चित्तौड़गढ़ जिले के कई बीएलओ ने निर्धारित समय से पहले ही शत-प्रतिशत ऑनलाइन अपडेट पूरा कर यह दिखा दिया कि जब लक्ष्य स्पष्ट हो और मन मजबूत, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। यह कार्य केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं था, बल्कि इसमें घर-घर जाकर संवाद, समझाइश और विश्वास कायम करना भी शामिल था। बावजूद इसके, इन कर्मयोगियों ने हर कठिनाई को धैर्यपूर्वक पार किया।
राप्रावि गाडरियावास की शिक्षिका और बीएलओ सुनीता सोनी लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं, लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा। उन्होंने गांव की महिलाओं से संवाद बढ़ाने के लिए व्हाट्सएप समूह बनाए, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल स्थापित किया और समय से पहले कार्य पूर्ण कर जिले की पहली महिला बीएलओ बनने का गौरव प्राप्त किया। उनका यह संदेश आज सभी के लिए प्रेरणा है कि सही रणनीति हो तो तनाव नहीं, सफलता मिलती है।
दिव्यांगता को कमजोरी मानने वालों के लिए सूरजमल धाकड़ की कहानी एक सशक्त उत्तर है। शारीरिक सीमाओं के बावजूद उन्होंने जिले के सबसे तेज बीएलओ में अपना नाम दर्ज कराया। उनकी मेहनत ने साबित किया कि असली शक्ति शरीर में नहीं, संकल्प में होती है।
नई-नई जिम्मेदारी संभालने वाली कोमल कटारिया ने भी यह दिखा दिया कि अनुभव की कमी जुनून के आगे टिक नहीं सकती। सीमित संसाधनों और सहयोग की कमी के बावजूद उन्होंने स्थानीय लोगों से संवाद बढ़ाकर लक्ष्य समय से पूर्व हासिल किया। उनका उदाहरण बताता है कि यदि इरादा मजबूत हो तो हर रास्ता निकल आता है।
दुर्घटना के बाद भी गोपाललाल शर्मा ने जिम्मेदारी से पीछे हटने के बजाय और अधिक निष्ठा से कार्य किया। दर्द सहते हुए उन्होंने न केवल फॉर्म पूरे किए बल्कि मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क कर जरूरी दस्तावेज भी जुटाए। उनका समर्पण यह सिखाता है कि कर्तव्य के मार्ग में कठिनाइयाँ बाधा नहीं, बल्कि परीक्षा होती हैं।
शहरी क्षेत्र की जटिलताओं के बीच देवकीनंदन वैष्णव ने तेज़ी और सटीकता का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह काबिले तारीफ है। उन्होंने सीमित समय में सैकड़ों गणना पत्र पूर्ण कर यह दिखा दिया कि योजना, अनुशासन और अनुभव का मेल कैसे असाधारण परिणाम दे सकता है।
ये सभी कहानियाँ सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि उस जीवटता की कहानी हैं जो लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है। जब कुछ लोग दबाव में टूट जाते हैं, तब ये बीएलओ यह संदेश देते हैं कि चुनौतियों के बीच भी अगर संकल्प अडिग हो, तो हर लक्ष्य संभव है।
चित्तौड़गढ़ के इन बीएलओ ने न केवल अपने जिले का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरे प्रदेश को यह प्रेरणा दी है कि कठिन हालात में भी इंसान अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता, बल्कि और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ता है। यही असली प्रेरणा है, यही सच्चा राष्ट्रधर्म।
Updated on:
24 Nov 2025 11:29 am
Published on:
24 Nov 2025 11:26 am
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