जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सहकारी समिति के निरीक्षक नारायण वर्मा को हाल ही में 2.75 लाख रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया था। मामला इतना फिल्मी अंदाज में हुआ कि इशारा मिलते ही पूरा ड्रामा सेकंडों में पलट गया। दरअसल, परिवादी ने तयशुदा पैसे आरोपी को सौंपने के बाद जैसे ही सिर पर हाथ फेरा और गले से तौलिया हटाया, एसीबी टीम ने उसी पल घेराबंदी कर दी।
अब एसीबी इस मामले में उप रजिस्ट्रार हरप्रीत कौर की भूमिका की भी जांच कर रही है। एफआइआर में परिवादी ने बताया कि सांगानेर, डिग्गी रोड स्थित हरगुन की नांगल उर्फ चारणवाला में बनी हरिनगर गृह निर्माण सहकारी समिति में उसके दो प्लॉट हैं।
विवाद होने पर वह स्टे के लिए उप रजिस्ट्रार के पास पहुंचा। उप रजिस्ट्रार ने निरीक्षक से मिलने को कहा। निरीक्षक ने नंबर दिया और मुलाकात की जगह तय की, “विवेक विहार मेट्रो स्टेशन के पास आ जाना।” 28 जुलाई की सुबह मुलाकात हुई, फाइल देखी और जवाब टालते हुए बोला, “मैडम से मिलकर बताऊंगा, दोपहर में कॉल करना।” दोपहर बाद फोन आया और शाम को फिर वही जगह तय हुई।
शाम 6 बजे की मीटिंग में निरीक्षक ने कहा,“मैडम से बात हो गई। हर पट्टे पर स्टे चाहिए तो 2-2 लाख देने होंगे। और मेरे लिए 50 हजार।” इतना ही नहीं, वह परिवादी को अंधेरे कोने में ले गया और पहली किस्त के तौर पर 25 हजार रुपए झटक लिए।
29 जुलाई को जब परिवादी मूल दस्तावेज लेकर उप रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचा तो निरीक्षक भड़क गया, “ऑफिस क्यों आया? स्टेशन पर ही मिला करो।” माफी मांगने के बाद भी उसने यही शर्त रखी। धीरे-धीरे तीन मुलाकातों में कुल 74 हजार रुपए ले चुका था।
8 अगस्त को निरीक्षक ने परिवादी को उप रजिस्ट्रार से मिलवाया। मैडम ने निरीक्षक को काम करने का इशारा किया। बाहर आकर निरीक्षक बोला, “आज ही मैडम काम कर देंगी, बस उनका पैसा पूरा करो।”
14 अगस्त को तय रकम 2.75 लाख रुपए परिवादी ने सौंप दी। उसी समय तय इशारा हुआ और एसीबी ने निरीक्षक को रंगे हाथों दबोच लिया। पूछताछ में उसने साफ कहा, “यह रकम मैडम के लिए है।” कॉल करवाया गया तो उप रजिस्ट्रार ने फोन रिसीव नहीं किया। बाद में फोन आया तो आरोपी निरीक्षक से फोन रिसीव करवाया गया लेकिन उप रजिस्ट्रार ने फोन तुरंत काट दिया। एसीबी ने एफआइआर दर्ज कर ली है और अब पूरा ध्यान इस बात पर है कि रिश्वतखोरी का यह खेल कहां तक फैला है।
Published on:
20 Aug 2025 08:04 am