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राजस्थान के बड़े 22 सरकारी अस्पतालों के बिजली सिस्टम में मिली खामियां, पुरानी वायरिंग, ओवरलोडेड पैनल, कभी भी फट सकता है सिस्टम

ऊर्जा विभाग के विद्युत निरीक्षणालय की जांच में राजस्थान के 22 प्रमुख सरकारी अस्पतालों के बिजली तंत्र में गंभीर खामियां उजागर हुई है। एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर के आइसीयू में लगी भीषण आग के बाद सरकार ने प्रदेश के सभी प्रमुख अस्पतालों के विद्युत सिस्टम की समीक्षा के निर्देश दिए थे।

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ट्रोमा अस्पताल हादसे के बाद बिजली सिस्टम की जांच, पत्रिका फोटो

Electrical Inspectorate Department: जयपुर.ऊर्जा विभाग के विद्युत निरीक्षणालय की जांच में राजस्थान के 22 प्रमुख सरकारी अस्पतालों के बिजली तंत्र में गंभीर खामियां उजागर हुई है। एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर के आइसीयू में लगी भीषण आग के बाद सरकार ने प्रदेश के सभी प्रमुख अस्पतालों के विद्युत सिस्टम की समीक्षा के निर्देश दिए थे। निरीक्षण टीम ने पाया कि कई जगह पुराना वायरिंग नेटवर्क, ओवरलोडेड पैनल, कमजोर अर्थिंग और ढीले कनेक्शन जैसी बड़ी समस्या है, जो हादसे का कारण बन सकती है। रिपोर्ट में इन सभी संस्थानों में तुरंत मेंटीनेंस कार्य शुरू करने की जरूरत जताई गई है।

ओवरलोड से खतरा

रिपोर्ट में बताया है कि अधिकांश अस्पतालों में बिजली का ढांचा वर्षों पुराना है। कई जगहों पर लोड क्षमता से अधिक बिजली उपकरण चलाए जा रहे हैं। इससे ओवरलोड और शॉर्ट सर्किट का खतरा लगातार बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में 24 घंटे चलने वाले उपकरणों के कारण बिजली की खपत अधिक रहती है, ऐसे में सुरक्षा प्रणाली का मजबूत होना बेहद जरूरी है।

इन अस्पतालों का निरीक्षण

एसएमएस अस्पताल, ट्रोमा सेंटर, जेके लोन (जयपुर), पन्नाधाय महिला अस्पताल, सुपरस्पेशिलिटी ब्लॉक महाराणा भूपाल अस्पताल (उदयपुर), जिला अस्पातल करौली, आरआर सीएचसी अस्पताल, विश्वंभर दयाल अस्पताल (बहरोड़), कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर (नीमराना), सरकारी सीएचसी अस्पताल तारापुर, राजीव गांधी जनरल अस्पताल, जनाना एंड चाइल्ड अस्पताल,
सेटेलाइट अस्पताल (अलवर), महात्मा गांधी अस्पताल (जोधपुर), पीबीएम अस्पताल (बीकानेर), एमबीएच (कोटा), जेएलएन अस्पताल (अजमेर), एमजी अस्पताल (भीलवाड़ा), पं.जवाहरलाल नेहरू अस्पताल (नागौर), हरिदेव जोशी अस्पताल (डूंगरपुर), बीडीके अस्पताल (झुंझुनूं) सहित अन्य अस्पतालों में बिजली सिस्टम में सुरक्षा खामियां मिली हैं।

निजी अस्पतालों की क्यों नहीं हुई जांच ?

विद्युत निरीक्षणालय की यह जांच सरकारी अस्पतालों तक सीमित रही, जबकि प्रदेश में सैकड़ों निजी अस्पताल भी संचालित हैं। बिजली उपकरणों और ऑक्सीजन प्लांट के निरंतर संचालन के कारण इन अस्पतालों में भी ओवरलोड और आगजनी का खतरा बना रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति देने से पहले विद्युत निरीक्षणालय से बिजली जांच रिपोर्ट लेना अनिवार्य होता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब सरकारी अस्पतालों में इतनी बड़ी खामियां मिली हैं, तो निजी अस्पतालों के बिजली सिस्टम की जांच क्यों नहीं की जा रही?

इनका कहना है

सभी चिह्नित अस्पतालों में खामियां मिली है। कुछ में तो बड़ी परेशानी है। रिपोर्ट सौंप दी, तत्काल सुधार के लिए कहा है। निजी अस्पतालों में भी जांच का प्रोग्राम तय कर रहे हैं। - गौरीशंकर जीनगर, मुख्य इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर, विद्युत निरीक्षणालय विभाग