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जयपुर में ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग: तीसरी बार में उड़ा ड्रोन… फिर भी नहीं हो पाई बारिश, जानें क्यों?

जयपुर के रामगढ़ बांध इलाके में ड्रोन से कृत्रिम बारिश की पहली कोशिश नाकाम रही।

jaipur artificial rain
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Photo- Patrika Network

Jaipur Artificial Rain Through Drone: जयपुर के रामगढ़ बांध इलाके में मंगलवार को सरकार और प्राइवेट कंपनी के सहयोग से ड्रोन से कृत्रिम बारिश करवाने की मशक्कत की गई, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। कृत्रिम बारिश के प्रयोग से पहले रामगढ़ बांध में वैज्ञानिकों ने विधिवत पूजा-अर्चना और हवन कार्यक्रम करके सफल होने की कामना की।

रामगढ़ बांध पर 400 मीटर की ऊंचाई से ऊपर बादल होने के कारण दो बार ड्रोन जमीन पर गिर गए। बताया जा रहा है कि मौके पर भारी भीड़ जुटने के कारण मोबाइल नेटवर्क पर लोड बढ़ गया। जिसकी वजह से GPS ठीक से काम नहीं किया। ड्रोन उड़ाने के दो बार प्रयास किए गए। दोनों बार असफलता हाथ लगी। पहली बार में ड्रोन के पंखे चलाए गए, ड्रोन जमीन पर ही रुक गया। दूसरे प्रयास में कुछ ही दूरी पर ऊंचाई पर उड़ने के बाद ड्रोन बांध के नीचे जमीन पर झाड़ियों के बीच अटक गया। उधर, भारी भीड़ आने से प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। रामगढ़ आंधी सड़क मार्ग पर लम्बा जाम लग गया।

इसके कुछ घंटे बाद कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा व विधायक कम्पनी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तीसरी बार ड्रोन को उड़ाया गया, जो सफल रहा, लेकिन बादलों की ऊंचाई अधिक होने से क्लाउड सीडिंग नहीं करवाई जा सकी। जिससे आमजन का कृत्रिम बारिश को देखने का सपना केवल सपना बन कर रह गया।

तीसरे प्रयास में 400 फीट उड़ा ड्रोन

कम्पनी प्रतिनिधि शशांक शर्मा ने बताया कि तीसरे प्रयास में ड्रोन को 400 फीट की उंचाई तक उड़ाया गया। इसके बाद तीन किमी ओर उंचाई पर बादल थे। ऐसे में ड्रोन को उंचाई पर ले जाने की परमिशन नहीं होने से क्लाउड सीडिंग नहीं करवाई जा सकी। अब उड्डयन मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद फिर ड्रोन उड़ाया जाएगा।

भीड़ के कारण नहीं उड़ाए गए ड्रोन

वैज्ञानिकों का कहना है की भीड़ के कारण अभी ड्रोन को नहीं उड़ाया जा सकता। पुलिस लोगों को यहां से हटाने का प्रयास कर रही है। गौरतलब है कि वैज्ञानिकों की टीम कई दिनों से जयपुर में है। वे लगातार ड्रोन से कृत्रिम बारिश का परीक्षण कर रहे हैं। अब तक देश में प्लेन से क्लाउड सीडिंग की जाती रही है। ड्रोन से छोटे इलाके के सीमित दायरे में होने वाला यह पहला प्रयोग है।

यह प्रक्रिया 2 महीने चलेगी- किरोड़ी लाल

किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि यह प्रक्रिया 2 महीने चलेगी। यह कंपनी के द्वारा शुरुआती दौर में निशुल्क करवाई जा रही है। इसमें करीब दो करोड़ का खर्चा आएगा। यह हमारा पायलट प्रोजेक्ट है। इसके शुरुआती दौर में सफल होने पर इससे बड़ा ड्रोन उड़ाया जाएगा। इसके लिए अभी और परमिशन ली जाएगी।

60 क्लाउड सीडिंग की जाएगी टेस्ट ड्राइव

अमेरिका और बेंगलुरु की एक कंपनी सरकार के साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह ट्रायल कर रही है। रामगढ़ में 60 क्लाउड सीडिंग की टेस्ट ड्राइव करवाई जाएगी।