
शहरी सेवा शिविर के लिए सरकार ने विभिन्न सेवाओं के लिए जारी की छूट की अधिसूचना
अब मौका निरीक्षण की बंदिश से भी राहत
महापौर और आयुक्त के अधिकार बढ़ाए
जयपुर. राज्य सरकार ने शहरी सेवा शिविर में विभिन्न सेवाओं में जनता को दी जाने वाली छूट से जुड़ी अधिसूचना रविवार को जारी कर दी। इसमें शहरवासियों को बड़ी राहत दी गई है। इस बार गरीब वर्ग को सर्वाधिक लाभ, मध्यम वर्ग को कम राहत और उच्च आय वर्ग को आंशिकछूट देने का प्रावधान रखा है। इनमें बकाया लीज राशि पर ब्याज, भू-रूपांतरण, भवन निर्माण स्वीकृति, उप विभाजन, पुनर्गठन, पुनर्ग्रहण, निर्माण स्वीकृति के शुल्क में छूट दी गई है।
भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क की अलग-अलग श्रेणियों में 25 से 50 प्रतिशत तक की छूट होगी। यदि कोई गैर व्यावसायिक भू-उपयोग को व्यावसायिक में बदलता है, तो 250 वर्गमीटर तक भू-खंड पर 50 प्रतिशत छूट मिलेगी। ऐसे मामलों में शुल्क केवल आरक्षित दर का 20 प्रतिशत या जहां आरक्षित दर तय नहीं है, वहां डीएलसी दर का 10 प्रतिशत होगा। 250 से 500 वर्गमीटर तक के भू-खंड पर यह छूट 25 प्रतिशत रहेगी।
इसी तरह यदि कोई भू-खंडधारी भू-उपयोग से भिन्न उपयोग (व्यावसायिक को छोड़कर) करना चाहता है तो 500 वर्गमीटर तक 50 प्रतिशत और 500 से 1000 वर्गमीटर तक 25 प्रतिशत छूट दी जाएगी। इसके बाद शुल्क आरक्षित दर का केवल 10 प्रतिशत या डीएलसी का 5 प्रतिशत देना होगा।
इन अधिकारियों को जिम्मेदारी...
भवन निर्माण स्वीकृति, भू-उपयोग परिवर्तन और ले-आउट प्लान की जांच के लिए अधिकृत अधिकारियों की नई व्यवस्था लागू की है। अब प्रकरणों की जांच क्षेत्रफल और ऊंचाई के आधार पर तय होगी।
-500 वर्गमीटर तक और 15 मीटर ऊंचाई तक के भवन निर्माण मामलों की जांच वरिष्ठ प्रारूपकार, टाउन प्लानर सहायक, कनिष्ठ-सहायक अभियंता और सहायक नगर नियोजक करेंगे। इससे बड़े प्रकरण वरिष्ठ नगर नियोजक को भेजे जाएंगे।
-1000 वर्गमीटर तक के भू-उपयोग परिवर्तन प्रकरण अधीनस्थ अधिकारी देखेंगे, जबकि इससे बड़े मामले वरिष्ठ नगर नियोजक के पास होंगे।
- ले-आउट प्लान में 2 हेक्टेयर तक के प्रकरण कनिष्ठ स्तर के अधिकारी और उससे अधिक क्षेत्रफल के मामले वरिष्ठ नगर नियोजक देखेंगे।
अब एक एम्पावर्ड कमेटी, महापौर-आयुक्त को अधिकार...
भू-आवंटन, पट्टा जारी करने, भवन स्वीकृति, भू-उपयोग परिवर्तन और ले-आउट प्लान जैसे सभी कार्यों के लिए एक ही एम्पावर्ड कमेटी बना दी है। इसके अध्यक्ष महापौर, सभापति होंगे, जबकि आयुक्त, नगर नियोजक, अभियंता और विधि अधिकारी सदस्य रहेंगे। निर्णय के बाद आयुक्त एकल हस्ताक्षर से पट्टे और आदेश जारी कर सकेंगे।
ऑनलाइन आवेदन को ही निस्तारित करेंगे...
ज्यादातर मामलों में ऑनलाइन आवेदन को ही निस्तारित किया जाएगा। जो आवेदक ऑफलाइन आवेदन देंगे, उन आवेदनों को निकाय कार्मिक ऑनलाइन अपलोड करेंगे। आवेदन ऑनलाइन होने पर ही छूट दी जा सकेगी। इन प्रकरणों के निस्तारण पर ‘नजर’ रखी जाएगी।
कच्ची बस्तियों के भू-खंडों का नाम हस्तांतरण...
पट्टा जारी तिथि से 3 वर्ष के बाद हस्तांतरण किया जा सकेगा। अंतिम क्रेता के पक्ष में 10 रुपए प्रति वर्ग मीटर राशि ली जाएगी। ईडब्ल्यूएस,एलआइजी व पुनर्वास के भू-खंडों में राहत मिलेगी। इन भू-खंडों का नाम हस्तांतरण किया जा सकेगा।
बंदिश भी.... पट्टे के लिए स्वामित्व के दस्तावेज देने ही होंगे...
पुरानी आबादी के मामलों में कब्जा या वैकल्पिक दस्तावेज के आधार पर पट्टा नहीं मिलेगा। ऐसे मामलों में पट्टे के लिए स्वामित्व का दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा। नगर पालिका अधिनियम की धारा 69 ए के इन मामलों में छूट मिलेगी। 200 वर्गमीटर तक के पट्टों के मामले में 50 प्रतिशत की छूट। इतनी भूमि का पट्टा 200 रुपए के बजाए 100 रुपए में मिलेगा। 500 वर्गमीटर तक के पट्टों के मामले में 40 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
Published on:
15 Sept 2025 05:52 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग

