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संस्कृत को रोजगार की भाषा बनाने से मिलेगी खोई हुई पहचान

-संस्कृत दिवस पर देव भाषा के उत्थान के संबंध में बोले संस्कृत विद्वान

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जयपुर

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Mohmad Imran

Aug 31, 2023

संस्कृत को रोजगार की भाषा बनाने से मिलेगी खोई हुई पहचान

संस्कृत को रोजगार की भाषा बनाने से मिलेगी खोई हुई पहचान

जयपुर। आज विश्व संस्कृत दिवस है। दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक संस्कृत को लोकप्रिय बनाने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए हर साल विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। गुरुवार को शहर के संस्कृत विशेषज्ञों से खास बातचीत में पत्रिका प्लस ने जाना कि संस्कृत को कैसे युवाओं में लोकप्रिय बनाया जा सकता है।

स्कूल स्तर से ही पांडुलिपि पढऩे का प्रशिक्षण दिया जाए
राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा, 'देवों की भाषा संस्कृत में लिखे गए वेद हमारे ज्ञान-विज्ञान की थाती है। संस्कृत ऐसी समृद्ध भाषा है जो सभी भाषाओं का उद्गम स्रोत है। यह पूरी तरह से वैज्ञानिक भाषा है। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने भी वेदों में निहित विज्ञान और बीजगणित और अंकगणित के सिद्धांत को चंद्रयान 3 की सफलता का श्रेय दिया है। यंत्रों के निर्माण पर हाल ही मिली एक पांडुलिपी 'यंत्र विज्ञान' में 24 प्रकार के विमानों के निर्माण की प्रक्रिया बताई गई है, जबकि वर्तमान में आठ प्रकार के विमान ही मौजूद हैं। हमारी पांडुलिपियों में निहित ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है। स्कूल स्तर से ही पांडुलिपि पढऩे का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि कॉलेज स्तर तक आते-आते युवा प्राचीन पांडुलिपियों पर शोध कर सकें। साथ ही भाषा के रूप में इसे रोजगारपरक बनाने की जरूरत है, ताकि संस्कृत के अध्येता, कर्मकांड, वास्तु, ज्योतिष के क्षेत्र में अवसर बढ़ेंगे। फैशन और आभूषण में भी संस्कृत साहित्य में निहित जानकारी बहुत काम आ सकती है।

संस्कृत कठिन नहीं सरल भाषा है
राष्ट्रपति से सम्मानित प्रो. बनवारी लाल गौड़ ने कहा, 'संस्कृत का साहित्य बहुत समृद्ध है। लोगों को लगता है कि संस्कृत कठिन भाषा है लेकिन वास्तव में यह बहुत सरल है, बस समर्पण की जरूरत है। संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए छोटे-छोटे शब्दों के रूप में रोजमर्रा की जिंदगी में संस्कृत के शब्दों का भी उपयोग किया जाना चाहिए। साथ ही संस्कृत के शब्दों को अलग-अलग भाषाओं के साथ जोडऩा चाहिए, जैसे हम हिंदी बोलने में अंग्रेजी शब्दों का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। ऐसे 100 शब्दों भी संस्कृत के प्रचार-प्रसार में बहुत योगदान दे सकते हैं।

युवाओं को भा रही है संस्कृत
राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विभागाध्यक्ष शास्त्री कौशलेन्द्र दास ने कहा, 'संस्कृत भाषा में युवाआं का आकर्षण इसलिए बढ़ा है क्योंकि अब इस भाषा में भी सोशल मीडिया के हिसाब से शॉट्र्स, रील्स और मीम्स बनने लगी हैं। घर-घर में जबसे योग पहुंचा है, पूरे विश्व में लोगों की संस्कृत के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है। हमने यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन संस्कृत कोर्स की शुरुआत की जिसमें 800 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए। लैंग्वेज पर शोध करने वाले, योग, भारतीय इतिहास पढऩे वाले विदेशी छात्र भी संस्कृत पढऩे का शौक है।