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Patrika National Book Fair: बुक फेयर परवान पर, किताबों की दुनिया में ‘पुरानी यादों’ से साहित्य के रत्नों की खोज

Patrika National Book Fair: जयपुर के जवाहर कला केंद्र शिल्पग्राम में चल रहे पत्रिका नेशनल बुक फेयर का पांचवां दिन साहित्य प्रेमियों से गुलजार रहा। रिटायर्ड लोग और वरिष्ठ नागरिक इसे अपनी ‘नॉस्टैल्जिया यात्रा’ मानते हुए श्यामाचरण दुबे, भीष्म साहनी जैसे दिग्गजों की पुरानी किताबों को तलाशते दिखे।

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जयपुर

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Arvind Rao

Nov 20, 2025

Patrika National Book Fair

Patrika National Book Fair

Patrika National Book Fair: जयपुर: जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में चल रहे पत्रिका नेशनल बुक फेयर का पांचवां दिन बुधवार को साहित्य प्रेमियों से गुलजार रहा। इस बीच सुबह से लेकर शाम तक विभिन्न एक्टिविटी ने साहित्यप्रेमियों को अपने रंग में रंग लिया।

बुक फेयर में एक विशेष वर्ग ने साहित्य की पुरानी धरोहर को फिर से जीने का मन बना लिया है। रिटायर्ड लोग और वरिष्ठ नागरिक इस साल के बुक फेयर को अपनी ‘नॉस्टैल्जिया यात्रा’ मानते हुए, उन किताबों और पत्रिकाओं को तलाश रहे हैं, जो उनके पुराने दिनों की यादें ताजा करती हैं।

श्यामाचरण दुबे, भीष्म साहनी और निर्मल वर्मा जैसे दिग्गज लेखक व राजस्थान की लोककथाओं की किताबें उनके लिए किसी खजाने से कम नहीं हैं। बुजुर्गों के लिए बुक फेयर एक यात्रा है, जिसमें वे उन किताबों की तलाश कर रहे हैं। जो उन्हें अपने बचपन और युवावस्था के दिनों की याद दिलाती हैं।

बुक फेयर में बुजुर्गों के बीच एक आम राय यह है कि हमारे समय में किताबें न सिर्फ ज्ञान का स्रोत थीं, बल्कि हमारी सोच और समझ को भी गहरा करती थीं। आजकल के बच्चे किताबों के बजाय मोबाइल और इंटरनेट में व्यस्त रहते हैं, जो उनका मानसिक विकास रोकता है। पुरानी किताबें न केवल पाठक को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं, बल्कि उनके विचारों को भी परिष्कृत करती हैं। वे यह भी कहते हैं कि किताबें केवल बौद्धिकता नहीं देतीं, बल्कि मानसिक शांति का भी स्रोत होती है।

किताबों का साथ कभी नहीं छोड़ा


साहित्य में गहरी रुचि रखने वाली सुनीता शर्मा ने बताया कि हमने श्यामाचरण दुबे और भीष्म साहनी, गुलाब कोठारी की किताबों को बार-बार पढ़ा है। ये किताबें हमें एक अलग दुनिया में ले जाती हैं, जहां हम समय के बदलाव के बावजूद अपने संस्कारों और मूल्यों को जी सकते हैं।

आज के युवा इन किताबों को छोड़कर केवल डिजिटल सामग्री में खोए हुए हैं। हमने जीवन के कई वर्षों में बहुत कुछ देखा है, लेकिन किताबों का साथ कभी नहीं छोड़ा। बुक फेयर में घूमना हमें नॉस्टैल्जिया जैसा लगता है। ऐसा लग रहा है कि हम अपने ही दौर में फिर आ गए हो।


ये हैं प्रायोजक

बुक फेयर का मुख्य प्रायोजक महात्मा ज्योतिराव फुले यूनिवर्सिटी है। नॉलेज पार्टनर राजस्थान नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरकेसीएल) और आईआईएस (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) जयपुर एसोसिएट स्पॉन्सर हैं। इवेंट मैनेजमेंट आइएफएफपीएल की ओर से किया जा रहा है।


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