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Rajasthan: सरकारी स्कूलों के 5500 भवन जर्जर, 85 हजार कमरे गिरने के कगार पर, सर्वेक्षण में खुलासा

वहीं शिक्षा विभाग के कराए सर्वेक्षण में स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर भयावह आकंड़े सामने आए हैं। प्रदेश में करीब 5500 सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर और 85 हजार जर्जर कमरों को भी चिन्हित उन्हे तुरंत ढहाने की जरूरत बताई गई है।

सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों के भयावह हालात, पत्रिका फोटो
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सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों के भयावह हालात, पत्रिका फोटो

राजस्थान में झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में बीते माह सरकारी स्कूल का जर्जर भवन गिरने से सात मासूम बच्चों की हुई मौत ने झकझोर दिया। वहीं राज्य सरकार ने घटना से सबक लेते हुए कराए सर्वेक्षण में स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर भयावह आकंड़े सामने आए हैं। प्रदेश में करीब 5500 सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर और जीर्णक्षीण हालत में ​पाए गए जिन्हे तुरंत प्रभाव से हटाकर नए निर्माण कराने की दरकार है। सर्वे में स्कूलों के करीब 85 हजार जर्जर कमरों को भी चिन्हित किया गया जिन्हे तुरंत ढहाने की जरूरत बताई गई है।

63 हजार में से 5500 भवन जर्जर

जानकारी के अनुसार सरकार की सर्वेक्षण रिपोर्ट में प्रदेश के कुल 63 हजार सरकारी स्कूल भवनों में से 5500 भवनों को बेहद जर्जर मानते हुए हादसे की आशंका जताई गई है। प्रदेश में शिक्षा विभाग के सर्वे में स्कूलों के करीब 85 हजार जर्जर कमरों को भी चिन्हित किया गया जिन्हे तुरंत ढहाने की जरूरत बताई गई है।

2.5 लाख कमरों की मरम्मत की दरकार

शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में यह भी बात सामने आई कि सरकारी स्कूलों के 2.5 लाख कमरों को तुरंत मरम्मत करने की जरूरत है। स्कूलों में निर्मित करीब 15000 शौचालय भी जर्जर मिले हैं जबकि 25 हजार शौचालयों को भी मरम्मत कराने की आवश्यकता है।

ज्यादातर भवन 30 साल से ज्यादा पुराने

शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में प्रदेश के सरकारी स्कूलों की ज्यादातर जर्जर इमारतों को 30 साल से ज़्यादा पुराना माना गया है। नई इमारतों की तरह पुराने भवनों को भी नियमित रखरखाव की ज़रूरत होती है लेकिन ज्यादातर पुराने भवनों की मरम्मत को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों का कहना है ​कि सर्वेक्षण में अगले 30 दिनों में सरकारी इंजीनियरों और जिला प्रशासन की टीमों के समन्वय से एक विस्तृत संरचनात्मक ऑडिट का आधार तैयार किया जाएगा।

अभी इतना मिलता बजट

विभाग के कुछ अफसरों की मानें तो वर्तमान में प्रदेश के प्रत्येक स्कूल को समग्र रखरखाव के लिए सालाना 10,000 से 15,000 रुपये आवंटित होते हैं। जबकि यह राशि आमतौर पर बिलों के भुगतान, नियमित रखरखाव और सफाई, स्टेशनरी की खरीद, और अन्य छोटे-मोटे खर्चों पर खर्च की जाती है। ऐसे में शेष राशि से ही जैसे तैसे भवन का रखरखाव होता है।

मरम्मत के लिए 170 करोड़ मंजूर

प्रदेश में 29 जुलाई को, झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने की घटना के चार दिन बाद राज्य सरकार ने प्रदेश के 1,936 स्कूलों में बड़ी मरम्मत के लिए लगभग 170 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। हालांकि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूल भवनों के मरम्मत के लिए और ज्यादा बजट देने की बात कही। वहीं अब प्रदेश के 1,936 स्कूलों के लिए प्राथमिकता के आधार पर बजट जारी किया गया है और 7,500 और स्कूलों की मरम्मत पर 150 करोड़ रुपये खर्च करने की भी बात कही है।