जयपुर: राजस्थान के किसानों ने नैनो यूरिया की अनिवार्य खरीद को लेकर नाराजगी जताई है। किसानों का कहना है कि सरकार के आदेश के चलते सहकारी समितियां और खाद लाइसेंसधारी उन पर नैनो यूरिया की बोतलें लेने का दबाव बना रहे हैं, जबकि पंजाब की लुधियाना कृषि यूनिवर्सिटी के शोध में यह साबित हुआ है कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से पैदावार घटती है।
किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी बात पहुंचाई है। किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि किसानों ने कई बार राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यहां तक कि 12 अक्टूबर 2022 को इस मामले को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी, लेकिन वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रामपाल जाट ने कहा, लुधियाना कृषि यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि नैनो यूरिया के उपयोग से उत्पादन कम हो रहा है। इसी कारण किसान नैनो यूरिया नहीं खरीदना चाहते। लेकिन समितियां और डीलर दबाव डाल रहे हैं। सरकार ने 21 जुलाई 2025 को इस जबरदस्ती को रोकने के लिए परिपत्र जारी किया था, फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि किसानों के घरों में नैनो यूरिया की बोतलों का ढेर लग चुका है, जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा। खेती पहले ही घाटे का सौदा बन चुकी है और अब नैनो यूरिया पर अनचाहा खर्च किसानों की आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ रहा है। किसानों ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग की है।
Updated on:
18 Aug 2025 12:19 pm
Published on:
18 Aug 2025 11:44 am