जयपुर। मानसून के बाद फैलने वाली मच्छर जनित बीमारी डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया न केवल आमजन बल्कि सरकार के लिए भी बड़ा सिरदर्द बन जाता है। इसको फैलने से रोकने से लेकर लोगों के इलाज तक काफी खर्चा भी किया जाता है। हर साल फिर यही समस्या आ खड़ी होती है।
इसके समाधान के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर में नया प्रयोग करने जा रहा है। इसमें विभाग की टीमें इलाकेवार मच्छरों के लार्वा एकत्रित करेगी। इसके बाद इन्हें लैब या रिसर्च वाले विशेष स्थान पर सुरक्षित रखा जाएगा। जिससे की ये मच्छर के रूप में पनप सके। फिर इन पर रिसर्च कर पता लगाया जाएगा कि मच्छरों में डेंगू, मलेरिया या किसी अन्य बीमारी का एक्टिव वायरस है।
एक्टिव वायरस की पहचान के बाद जिन इलाकों से ये लार्वा एकत्र किए गए हैं विभाग की नियंत्रण गतिविधियों का फोकस उन्हीं क्षेत्रों पर अधिक रहेगा। केवल उन इलाकों में फॉगिंग करवाई जाएगी। इससे पूरे शहर में फॉगिंग कराने की जरूरत नहीं होगी और विभाग की मेनपॉवर का सही दिशा में उपयोग किया जा सकेगा।
प्रदेश में इस वर्ष डेंगू के 600 से अधिक, मलेरिया के 500 से अधिक और चिकनगुनिया के करीब 200 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल डेंगू के 12500 और मलेरिया के 2200 से अधिक मामले सामने आए थे और कुल छह लोगों की मौत हुई थी।
सर्विलांस टीमें इलाकों में जाकर मच्छरों को आसानी से नहीं पकड़ सकती। ऐसे में लार्वा को एकत्रित कर उसे लैब में मच्छर के रूप में पनपने दिया जाएगा। इसके बाद उसे जांच के लिए दिल्ली या पुणे की लैब में भेजा जाएगा। इस नए प्रयोग के लिए जयपुर में एंटोमोलॉजिकल टीम बनाई गई है। यह टीम शहर के अलग-अलग इलाकों में जाकर लार्वा एकत्रित करेगी।
सभी स्थानों पर एंटी लार्वा गतिविधियां करवाई जाती हैं। अभी सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव मिली है। यानि उनमें मौसमी बीमारियों के वायरस नहीं मिले हैं। -डॉ.रविप्रकाश शर्मा, निदेशक, जनस्वास्थ्य
Published on:
08 Aug 2025 06:47 am