जयपुर: देश का पहला ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग ट्रायल राजस्थान के जमवारामगढ़ बांध क्षेत्र में फिलहाल अटका हुआ है। कारण है नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की ओर से ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं मिलना। वर्तमान नियमों के अनुसार, ड्रोन को केवल 400 फीट तक उड़ाने की इजाजत है। जबकि इस ट्रायल के लिए 10,000 फीट तक ड्रोन उड़ाने की आवश्यकता है।
राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने सोमवार को कहा कि उन्होंने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू से मिलने का समय मांगा है। ताकि इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल सके।
मीणा ने बताया कि समय पर अनुमति नहीं मिली तो इस बार मॉनसून के दौरान ट्रायल करना मुश्किल हो जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के मौसम में बादल आमतौर पर अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर बनते हैं। ऐसे में मंजूरी में देरी होने से प्रोजेक्ट का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।
जानकारी के अनुसार, 12 अगस्त को एक टेस्ट फ्लाइट की कोशिश की गई थी। लेकिन उसे बीच में ही रोकना पड़ा। अब विभाग की पूरी उम्मीद केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुमति पर टिकी है।
कृषि मंत्री का कहना है कि राजस्थान जैसे राज्य में जहां अक्सर सूखा और पानी की कमी रहती है, वहां क्लाउड सीडिंग जैसी तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस तकनीक से कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।
इससे फसलों को सीधा लाभ मिलेगा और जलसंकट से भी राहत मिलेगी। यदि मंजूरी मिल जाती है तो यह देश में पहली बार होगा, जब ड्रोन के जरिए क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया जाएगा।
Published on:
19 Aug 2025 02:13 pm