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Rajasthan: जमवारामगढ़ में ड्रोन से बारिश लाने की कोशिश पर ब्रेक, DGCA मंजूरी न मिलने से अटका देश का पहला ट्रायल

राजस्थान के जमवारामगढ़ बांध में देश का पहला ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग ट्रायल अनुमति के अभाव में अटक गया है। DGCA ने अभी 10,000 फीट तक ड्रोन उड़ाने की मंजूरी नहीं दी। कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने केंद्रीय मंत्री से मिलने का समय मांगा है।

जयपुर

Arvind Rao

Aug 19, 2025

Drone Cloud Seeding Trial
Drone Cloud Seeding Trial (Photo- AI)

जयपुर: देश का पहला ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग ट्रायल राजस्थान के जमवारामगढ़ बांध क्षेत्र में फिलहाल अटका हुआ है। कारण है नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की ओर से ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं मिलना। वर्तमान नियमों के अनुसार, ड्रोन को केवल 400 फीट तक उड़ाने की इजाजत है। जबकि इस ट्रायल के लिए 10,000 फीट तक ड्रोन उड़ाने की आवश्यकता है।


राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने सोमवार को कहा कि उन्होंने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू से मिलने का समय मांगा है। ताकि इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल सके।


मंत्री मीणा ने क्या बताया


मीणा ने बताया कि समय पर अनुमति नहीं मिली तो इस बार मॉनसून के दौरान ट्रायल करना मुश्किल हो जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के मौसम में बादल आमतौर पर अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर बनते हैं। ऐसे में मंजूरी में देरी होने से प्रोजेक्ट का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।

टेस्ट फ्लाइट की कोशिश की गई

जानकारी के अनुसार, 12 अगस्त को एक टेस्ट फ्लाइट की कोशिश की गई थी। लेकिन उसे बीच में ही रोकना पड़ा। अब विभाग की पूरी उम्मीद केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुमति पर टिकी है।


किसानों के लिए वरदान

कृषि मंत्री का कहना है कि राजस्थान जैसे राज्य में जहां अक्सर सूखा और पानी की कमी रहती है, वहां क्लाउड सीडिंग जैसी तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस तकनीक से कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।


इससे फसलों को सीधा लाभ मिलेगा और जलसंकट से भी राहत मिलेगी। यदि मंजूरी मिल जाती है तो यह देश में पहली बार होगा, जब ड्रोन के जरिए क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया जाएगा।