जयपुर। जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेजों ने तय सीटों से अधिक छात्रों को पीजी डिप्लोमा परीक्षाओं में बैठा दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस फर्जीवाड़े पर कोई सख्त कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया, लेकिन अधिकतर कॉलेज यह जुर्माना भी देने से पीछे हट रहे हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉलेजों को जुर्माना और संबद्धता शुल्क सहित कुल 51 लाख रुपए की वसूली के नोटिस भेजे, लेकिन कॉलेज न तो जुर्माना चुका रहे हैं और न ही नोटिसों का जवाब दे रहे हैं। अब तक सिर्फ 17 लाख रुपए की राशि ही विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई है। गौरतलब है कि यह मामला सरकार तक पहुंच चुका है, लेकिन उच्च स्तर से भी सिर्फ जुर्माना वसूलने के निर्देश ही दिए गए।
संस्कृत विश्वविद्यालय में हुए इस फर्जीवाड़े का मामला कई बार विधानसभा में भी उठ चुका है। 16वीं विधानसभा के प्रथम सत्र में विधायक जेठानंद व्यास ने विश्वविद्यालय में परीक्षा गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। विधायक यूनुस खान और कालीचरण सराफ ने भी प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में हुए फर्जी प्रवेश व परीक्षा संबंधी अनियमितताओं पर सवाल पूछे।
कुलपति रामसेवक दुबे ने विश्वविद्यालय की परीक्षाओं, वाहन खरीद और टेंडर प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं को लेकर तत्कालीन वित्त नियंत्रक दुर्गेश राजोरिया के खिलाफ राजभवन और राज्य सरकार को शिकायत की थी। इसके बाद राज्यपाल ने एक जांच समिति गठित की, जिसने राजोरिया को दोषी पाया।
बदले में राजोरिया ने भी विश्वविद्यालय के वित्तीय मामलों में अनियमितताओं की जांच की मांग की। दोनों पक्षों की शिकायतों पर वित्त विभाग ने विशेष जांच करवाई और रिपोर्ट में अनियमितताओं को गंभीर माना। इसके बाद वसूली पूरी होने तक विश्वविद्यालय का आगामी बजट रोक दिया गया।
निजी कॉलेजों ने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (पीजीडीसीए) और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन योग थैरेपी (पीजीडीवाईटी) कोर्स में तय सीटों से ज्यादा छात्रों को परीक्षा में शामिल करवा दिया था। यह फर्जीवाड़ा हाल ही विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में उजागर हुआ था।
विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति की भूमिका भी इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध रही। तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक दुर्गेश राजोरिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में समिति ने फर्जीवाड़ा करने वाले कॉलेजों पर सिर्फ 5,000 रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश की। इससे स्पष्ट है कि समिति ने सख्त कार्रवाई से बचने और खुद को बचाने के प्रयास किए।
कॉलेजों को नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन वे जुर्माना नहीं भर रहे। परीक्षा समिति ने ही जुर्माने की राशि तय की थी। -रामसेवक दुबे, कुलपति, जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय
Updated on:
06 Aug 2025 10:39 am
Published on:
06 Aug 2025 10:10 am