जयपुर. राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में दवा दुकानों को लेकर अधिकारियों की मनमानी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। योजना में पहले से जुड़े कई मेडिकल स्टोर्स का पिछले एक साल में निलंबन किया गया है, जबकि नए विक्रेताओं को जोड़े जाने की प्रक्रिया भी ठप पड़ी है। हालत यह है कि, जो फार्मासिस्ट या दवा व्यापारी योजना से जुड़ना चाह रहे हैं, उन्हें भी अनुमोदन के लिए सिफारिश ढूंढ़नी पड़ रही है।
आरजीएचएस के तहत सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और उनके आश्रित अधिकृत मेडिकल स्टोर्स से नकदरहित (कैशलेस) दवाएं ले सकते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से अधिकृत विक्रेताओं को योजना से जोड़ा जाता है। मगर पिछले एक वर्ष में विभाग ने कई नए आवेदन लंबित कर दिए हैं, बल्कि पहले से जुड़े कई स्टोर्स का अलग-अलग कारणों से पंजीकरण निलंबित कर दिया है। इनमें से कई मामलों में कारण स्पष्ट नहीं बताए गए। मेडिकल स्टोर संचालकों का आरोप है कि बिना वजह आवेदन लंबित करना मनमानी है।
नए आवेदकों ने बताया कि वे सभी मानदंड पूरे करने के बावजूद महीनों से विभाग के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। दरअसल, योजना में अधिकृत मेडिकल स्टोर्स की संख्या कम होने से लाभार्थियों को दवा लेने में कठिनाई हो रही है। कई बार सरकारी कर्मचारी और पेंशनर को दूरदराज के स्टोर्स तक जाना पड़ता है या फिर बाजार से खुद पैसे देकर दवा खरीदनी पड़ती है, जिसका पुनर्भरण भी समय पर नहीं होता।
Published on:
16 Aug 2025 01:44 pm