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जयपुर में ‘सुखदेव सिंह गोगामेड़ी’ के नाम पर सड़क और पार्क के नामकरण का आया प्रस्ताव, निगम की बैठक में हंगामा

Rajasthan News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर की प्रस्तावित एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में उस समय हंगामा मच गया, जब एक सड़क और पार्क का नामकरण 'अमर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी' के नाम पर करने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आया।

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Sukhdev Singh Gogamedi

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर की प्रस्तावित एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में उस समय हंगामा मच गया, जब एक सड़क और पार्क का नामकरण 'अमर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी' के नाम पर करने का प्रस्ताव चर्चा के लिए आया। इस प्रस्ताव पर भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने एकजुट होकर विरोध जताया, जिसके चलते बैठक शुरू होने से पहले ही स्थगित कर दी गई।

मेयर सौम्या गुर्जर ने प्रस्ताव भेजने वाले की पहचान उजागर नहीं की, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस प्रस्ताव के पीछे किसकी मंशा थी।

कुल 18 प्रस्ताव चर्चा के लिए शामिल

बैठक में कुल 18 प्रस्ताव चर्चा के लिए शामिल किए गए थे। इनमें से 12 प्रस्ताव शहर की सड़कों, पार्कों और मार्गों के नामकरण से संबंधित थे, जबकि शेष 6 प्रस्ताव निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन से जुड़े थे। आमतौर पर ईसी की बैठकें आपातकालीन मुद्दों या जनता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लेने के लिए बुलाई जाती हैं। लेकिन इस बार प्रस्तावों को लेकर पार्षदों में नाराजगी देखी गई।

सबसे ज्यादा विवाद प्रस्ताव नंबर 6 को लेकर हुआ, जिसमें महाराणा प्रताप सर्किल से द्वारकापुरी सर्किल तक के मार्ग और वार्ड 118 (घंरोदा) सेक्टर-29, प्रतापनगर स्थित पार्क का नाम सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के नाम पर रखने की मंजूरी मांगी गई थी। यह प्रस्ताव श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की ओर से भेजा गया था, जिसे मेयर सौम्या गुर्जर ने बैठक के एजेंडे में शामिल किया। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के संस्थापक थे।

विपक्ष के नेता राजीव चौधरी ने किया विरोध

पार्षदों का कहना था कि निगम का कार्यकाल समाप्त होने के कगार पर है, ऐसे में जनता से जुड़े जरूरी मुद्दों और उनके प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी। विपक्ष के नेता राजीव चौधरी ने इस प्रस्ताव को “शर्मनाक” करार देते हुए सवाल उठाया कि आखिर मेयर ने इसे एजेंडे में क्यों शामिल किया। उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि यह प्रस्ताव किसने दिया और इसे क्यों स्वीकार किया गया।

चौधरी ने आगे कहा कि इस समय ईसी बैठक में दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार को लेकर चर्चा होनी चाहिए थी। निगम में करीब 5,000 फाइलें लंबित हैं, और दीपावली के दौरान वार्डों में अस्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने जैसे मुद्दों पर विचार होना चाहिए था। लेकिन जनता से जुड़ा कोई भी प्रस्ताव चर्चा में नहीं लाया गया। पांच साल के कार्यकाल में कम से कम 20 ईसी बैठकें होनी चाहिए थीं, लेकिन मेयर चार बैठकें भी ठीक से नहीं कर पाईं।