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Patrika National Book Fair: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मन के प्रतिबिंब’ पर विशेष सत्र; ‘मन में उठने वाले विचार ही वास्तविक संवाद, जो दिशा देते’

जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में आयोजित पत्रिका नेशनल बुक फेयर में छठे दिन गुरुवार को पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मन के प्रतिबिंब’ पर विशेष सत्र का आयोजन हुआ।

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पत्रिका नेशनल बुक फेयर 2025, पत्रिका फोटो

Patrika National Book Fair: जयपुर। जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में आयोजित पत्रिका नेशनल बुक फेयर में छठे दिन गुरुवार को पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मन के प्रतिबिंब’ पर विशेष सत्र का आयोजन हुआ। सत्र में विशेषज्ञ के तौर पर आरएएस अधिकारी प्रियंका जोधावत और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के जयपुर परिसर के व्याकरण विभाग के प्रो. विष्णुकांत पांडेय ने पुस्तक की गूढ़ बातों पर विचार साझा किए।

प्रियंका जोधावत ने कहा कि हमारे जीवन का आधार मन है। मन है तो इच्छा है और इच्छा है तो क्रियाएं हैं। ‘मन के प्रतिबिंब’ पुस्तक में पांच अध्यायों में इसी बात का गहनता से जिक्र किया गया है। जो हम अनुभव करते हैं, वह शुद्ध मन नहीं है, बल्कि प्रकृति और हमारे कर्मों के आवरण से ढका हुआ प्रतिबिंब है। जहां मन रमता है वहां जाने का मन करता है। कोठारी की यह पुस्तक मार्गदर्शक और प्रेरक है। उन्होंने कहा कि भाव ही मन कहलाता है। मन आकाश की तरह असंग है। मन भी क्रियाओं से मुक्त रहता है। मन को वेदों में ज्योति कहा गया है।

वैश्विक पदार्थ सात होते है पृथ्वी, जल, काल, दिशा, आत्मा, आकाश और मन। सुख और दुख जो भी है उनकी उपलब्धि जिस इंद्री से होती है, वह हमारा मन ही है। मन से ही इनकी उत्पत्ति होती है। जैसा हम सोचते और इच्छा रखते हैं, हम भी मन से वैसे ही बन जाते हैं। श्रीमद् भागवत गीता का आधार मन है। पांच इंद्रियों के बाद छठी इंद्री को चलाने वाली इंद्री मन ही है।

मन है गीता को समझने का मूल आधार

प्रो. विष्णुकांत पांडेय ने कहा कि गीता को समझने का मूल आधार मन है, क्योंकि मन ही वह सेतु है, जो ज्ञान को अनुभूति में बदलता है। वेद ही सारे ज्ञान का भंडार हैं। सुख और दुख का ज्ञान करवाने वाली इंद्री मन है। मन के कारण की व्यक्ति बंधता है। मन जैसा होता है, वैसा ही व्यक्ति का स्वभाव और उसका संसार बनता है। उन्होंने कहा कि मन के कारण ही कोई राम तुल्य बनता है, तो मन के ही कारण कंस और रावण जैसी वृत्तियां प्रकट होती हैं। मन के भीतर उठने वाले विचार ही वास्तविक संवाद हैं, जो मनुष्य के चरित्र, निर्णय और व्यवहार को दिशा देते हैं। पांडेय ने गुलाब कोठारी को वर्तमान समय का ऋषि बताते हुए कहा कि उनका लेखन मन की उन परतों को खोलता है, जिन्हें सामान्यत: व्यक्ति समझ नहीं पाता है।

ये हैं प्रायोजक

फेयर का मुख्य प्रायोजक महात्मा ज्योतिराव फुले यूनिवर्सिटी है। नॉलेज पार्टनर राजस्थान नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरकेसीएल) और आइआइएस (डीड टू बी यूनिवर्सिटी) जयपुर एसोसिएट स्पॉन्सर हैं। इवेंट मैनेजमेंट आइएफएफपीएल की ओर से किया जा रहा है।

‘तड़का फन प्लग्ड’ सेशन

पत्रिका नेशनल बुक फेयर में गुरुवार की शाम को ‘तड़का फन प्लग्ड’ नामक सेशन का आयोजन हुआ, जिसे आरजे गीता ने होस्ट किया। इन्होंने फेयर में शामिल हुई ऑडियंस से जयपुर और विभिन्न फिल्मों से जुड़े हुए कई प्रश्न पूछे। सही जवाब देने वाले लोगों को पुरस्कार देकर समानित किया गया। वहीं, माधव ने कविता ‘मां तेरी आंखों की जैसी दूरबीन कहां से लाऊंगा… सुनाकर ऑडियंस की खूब तालियां बटोरीं।