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Tribal Conversion: धर्मांतरण करने वाले आदिवासी क्या ST सूची से होंगे बाहर ? आखिर राजस्थान में क्यों गरमाया है मुद्दा ?

Tribal Conversion: आदिवासी समुदाय में इस बात को लेकर चिंता है कि धर्म परिवर्तन करने वालों को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची से हटाने की तैयारी हो रही है। आदिवासी दिवस पर बांसवाड़ा में होने वाली बैठक में इस मुद्दे को धार देने की तैयारी है।

जयपुर

Kamal Mishra

Aug 09, 2025

MP Manna Lal Rawat
सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत (फोटो- पत्रिका)

जयपुर। केंद्र सरकार की उन खबरों से आदिवासी समाज में चिंता बढ़ गई है, जिनमें कहा गया है कि अन्य धर्म, खासकर ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने की तैयारी हो रही है। विश्व आदिवासी दिवस (शनिवार) पर बांसवाड़ा में होने वाली बड़ी बैठक में विभिन्न आदिवासी संगठन और उनसे जुड़े राजनीतिक दल इस प्रस्ताव का औपचारिक रूप से विरोध करने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम आदिवासी समुदाय की पहचान और उनके अधिकारों के लिए खतरा है।

मॉनसून सत्र के दौरान केंद्र ने संकेत दिया कि हाल के दशकों में धर्म परिवर्तन करने वालों की जनजातीय स्थिति की समीक्षा की जाएगी। अगर यह लागू हुआ तो जनजातीय उप-योजना (TSP) क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि यहां विशेष कल्याण योजनाओं का लाभ तभी मिलता है, जब कम से कम 50% आबादी जनजातीय हो।

BTP ने बताया बीजेपी और आरएसएस का एजेंडा

भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के प्रदेश अध्यक्ष वेला राम घोगरा ने इस कदम को आरएसएस और बीजेपी का 'पुनः उपनिवेशीकरण एजेंडा' बताया है। उन्होंने कहा, कुछ आदिवासी ईसाई बने हैं और बहुत कम संख्या में इस्लाम या बौद्ध धर्म अपनाया है, लेकिन उनका सांस्कृतिक और पारंपरिक जीवन अब भी वही है।

कई जगहों पर घटे आदिवासी

वेला राम ने कहा कि इन लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाना उनके अपने समुदाय से संस्थागत अलगाव के बराबर होगा। घोगरा का कहना है कि 1971 की जनगणना के बाद से राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश समेत 12 राज्यों के टीएसपी क्षेत्रों में गैर-आदिवासी आबादी काफी बढ़ी है, जिससे आदिवासी प्रतिनिधित्व और संसाधन कम होते गए हैं।

बीजेपी सांसद ने एसटी डीलिस्टिंग का उठाया है मुद्दा

वहीं, उदयपुर से बीजेपी सांसद मन्ना लाल रावत इस 'डीलिस्टिंग' अभियान के प्रमुख समर्थक के रूप में उभरे हैं। उन्होंने हाल ही में संसद में मुद्दा उठाते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन करने के बाद भी कई आदिवासी सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ ले रहे हैं।

बीजेपी सांसद मन्ना लाल का आरोप

रावत ने कहा, एसटी के लिए निर्धारित बजट का एक बड़ा हिस्सा धर्मांतरित लोगों पर खर्च हो रहा है, जो संविधान के उद्देश्य और आरक्षण की भावना के खिलाफ है।