सविता व्यास
जयपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक नाबालिग लडक़ी के अपहरण ने एक खौफनाक मानव तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसका नेटवर्क दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान तक फैला था। यह गिरोह नाबालिग लड़कियों को अगवा कर उन्हें जबरन सरोगेट मदर बनाने और बेचने का गोरखधंधा चला रहा था। गोरखपुर पुलिस ने इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें गिरोह का सरगना भी शामिल है। जांच में सामने आया कि यह गिरोह कमजोर और असुरक्षित लड़कियों को निशाना बनाता था, खासकर रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर अकेली दिखने वाली लड़कियों को। इसके बाद उन्हें राजस्थान और अन्य राज्यों में बेचा जाता था, जहां उन्हें सरोगेसी या अन्य अवैध गतिविधियों के लिए मजबूर किया जाता था।
पुलिस गिरफ्त में सरगना ने खुलासा किया कि राजस्थान में वह नर्सिंग होम्स और आईवीएफ क्लीनिक्स के साथ मिलकर काम करता था। ये क्लीनिक्स बांझपन से जूझ रहे दंपतियों को बच्चों का लालच देकर लाखों रुपए वसूलते थे।
गोरखपुर से एक नाबालिग की गुमशुदगी
मामला तब सामने आया जब गोरखपुर में एक नाबालिग लडक़ी के गायब होने की शिकायत दर्ज हुई। परिवार की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और सीसीटीवी फुटेज, तकनीकी निगरानी, और गुप्त सूचनाओं के आधार पर गिरोह के एक सदस्य को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि यह गिरोह दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान में सक्रिय था। गिरोह की एक महिला सदस्य, जो रेलवे स्टेशनों पर लड़कियों को फंसाने का काम करती थी, ने बताया कि वे नाबालिगों को नौकरी या शादी का लालच देकर अपहरण करते थे। इसके बाद उन्हें राजस्थान के अलवर और हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्रों में ले जाया जाता था, जहां उन्हें सरोगेट मदर के रूप में बेचा जाता था। पुलिस ने बताया कि एक लडक़ी को 4 से 6 लाख रुपए में बेचा जाता था और सरोगेसी के लिए उनकी कीमत और भी बढ़ जाती थी।
अलवर और हनुमानगढ़ में तस्करी का अड्डा
जांच में राजस्थान का अहम कनेक्शन सामने आया। गिरोह अलवर के सोडावास और गिरवास गांवों में सक्रिय था, जहां लड़कियों को बेचा जाता था। हनुमानगढ़ में भी इस गिरोह ने कई लड़कियों को सरोगेसी और देह व्यापार के लिए बेचा। 2017 में हनुमानगढ़ पुलिस ने एक 16 साल की दिल्ली की लडक़ी को बचाया था, जिसे दिल्ली से अगवा कर वहां बेचा गया था। इस मामले में 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो इस गिरोह से जुड़े थे।
पुलिस की कार्रवाई और पीडि़ताओं का दर्द
गोरखपुर पुलिस ने दिल्ली और पंजाब में भी छापेमारी की, जिसमें कई अन्य सदस्य पकड़े गए। एक आरोपी, जिसकी पहचान संग्राम दास के रूप में हुई, को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया। वह 2004 से इस रैकेट को चला रहा था और उसने कई नाबालिगों को अगवा कर बेचा था। पुलिस ने अब तक दो बच्चों को बचाया है, लेकिन कई अन्य की तलाश जारी है। पीडि़त लड़कियों ने बताया कि उन्हें डराया-धमकाया जाता था और अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था।
Published on:
22 Jul 2025 04:47 pm