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आइए, इस दशहरा पर्व पर जैसलमेर में 10 बुराइयों को जलाएं…

पीले पत्थरों के सुनहरे शहर में इस दशहरे में 10 बुराइयों को निकालकर समाज में अच्छाई की लौ जलाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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पीले पत्थरों के सुनहरे शहर में इस दशहरे में 10 बुराइयों को निकालकर समाज में अच्छाई की लौ जलाने की जरूरत महसूस की जा रही है। पारंपरिक रूप से रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक रहा है। इस बार इस पर्व पर जरूरत है सकारात्मक बदलाव और नैतिक जिम्मेदारी का संदेश देने की। संकल्प लेने की जरूरत है कि रावण जलाते समय हम केवल पुतले नहीं, अपनी नकारात्मक आदतों और प्रवृत्तियों को भी जड़ से मिटाने का संकल्प लें।

इन बुराइयों को जीवन व समाज से हटाने की दरकार

ृृ़ृ1. नशाखोरी: शराब, मादक पदार्थ और तंबाकू आदि हानिकारक पदार्थों की प्रवृत्ति।
संकल्प: युवाओं को लेनी होगी नशे से दूर रहने और स्वस्थ जीवन अपनाने की शपथ।

  1. महिला असुरक्षा: घरेलू हिंसा, पोक्सो मामलों और सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़।

संकल्प: महिलाओं के प्रति सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना।

  1. जल संकट: जल का अपव्यय और सीमित संसाधन।संकल्प: जल संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग।
  2. बेरोजगारी: सीमित रोजगार अवसर।

संकल्प: स्वरोजगार, प्रशिक्षण और स्किल डवलपमेंट।

  1. लपकावृत्ति: स्वर्णनगरी आने वाले पर्यटकों को परेशान करने और धोखाधड़ी।संकल्प: ऐसे तत्वों के खिलाफ एकजुट होने व पर्यटन को स्वच्छ बनाने का प्रयास।
  2. भ्रष्टाचार: सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी और पारदर्शिता की कमी।

संकल्प: पारदर्शिता, निगरानी और सक्रिय भागीदारी।

  1. पर्यावरण प्रदूषण: पर्यटन स्थलों पर कचरा और प्लास्टिक।संकल्प: स्वच्छता अभियान, कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण।
  2. सडक़ सुरक्षा की अनदेखी: ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और दुर्घटनाएं।

संकल्प: ट्रैफिक नियमों का पालन और सडक़ सुरक्षा जागरुकता।

  1. पशु कू्ररता: ऊंट, गाय और अन्य जानवरों के साथ अमानवीय व्यवहार।संकल्प: पशुओं के प्रति संवेदनशीलता और संरक्षण की पहल।
  2. सांस्कृतिक क्षरण: लोक कला, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत से दूरी।संकल्प: युवाओं को लोक कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना।