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जैसलमेर: परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण और भूमि रिकार्ड में इंद्राज

जैसलमेर. जिला प्रशासन ने परंपरागत जल स्रोतों जैसे ओरण, आगोर, तालाब, नदी-नाला और नाड़ी की भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की कवायद की जा रही है।

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जैसलमेर. जिला प्रशासन ने परंपरागत जल स्रोतों जैसे ओरण, आगोर, तालाब, नदी-नाला और नाड़ी की भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की कवायद की जा रही है। इस कार्य में उपखंड अधिकारियों की निगरानी में जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, पटवारी और भू-अभिलेख निरीक्षक की संयुक्त टीमें सर्वेक्षण कर रही हैं। सर्वेक्षण के दौरान तहसील जैसलमेर के ग्राम सुल्तानपुरा, चूंधी, गणेशदास की ढाणी, अमरनगर, अमरसागर, माणपिया, कुलधर, मुंदरड़ी, रामकुण्डा, जीयाई, किशनघाट, मूलसागर, बडाबाग, धउवा, भोजासर, विजयनगर, गोरेरा, डलासर, पडिहारी, पिथला, लिदरवा, छत्रैल, रूपसी, मोकलाल, लीला पारेवर, जायण, जैसलमेर यूआइटी क्षेत्र, नगरपरिषद क्षेत्र, डाबला, जोधा, धनुवा, खींवसर, सेलल, मोती किलों की ढाणी, कंडियाला, बरमसर, हांसुआ, जोगा, पिपरला, पोलजी की डेयरी, हसन का गांव, भींया, भू, दरबारी का गांव, सडिया, सोरों की ढाणी और हमीरा क्षेत्र की लगभग सत्तर हजार बीघा भूमि शामिल है। जिला प्रशासन ने इन परंपरागत जल स्रोतों और चारागाह जैसी प्राकृतिक संपदाओं को विधिवत राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर भविष्य में अतिक्रमण और अवैध उपयोग से बचाने की ठोस कार्रवाई की है। जिला कलक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे नियमित निरीक्षण करें, अतिक्रमण हटाएं और भूमि को मूल स्वरूप में पुनः स्थापित करें।