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जैसलमेर. 18 हजार वाहनों की जिम्मेदारी… केवल एक उप निरीक्षक के भरोसे

सरहदी जिले में पंजीकृत 18ए 646 वाहनों पर निगरानी सहित फील्ड निरीक्षण कार्य केवल एक उप निरीक्षक के भरोसे है।

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सरहदी जिले में पंजीकृत 18 646 वाहनों पर निगरानी सहित फील्ड निरीक्षण कार्य केवल एक उप निरीक्षक के भरोसे है। यह निराशाजनक स्थिति जैसलमेर परिवहन विभाग की है। यहां जिला परिवहन अधिकारी के अधाीनस्थ दो परिवहन निरीक्षक और चार परिवहन उप निरीक्षक पद स्वीकृत हैं। हकीकत यह है कि दोनों निरीक्षक पद रिक्त हैंए जबकि उप निरीक्षक में से केवल एक अधिकारी कार्यरत है और तीन पद खाली हैं।

बढ़ते वाहनए घटता नियंत्रण

जिले में पंजीकृत वाहनों की संख्या 18ए646 तक पहुंच चुकी है। इनमें 85 बसें. ऑल इंडियाए ऑल राजस्थान व संभागीयए125 स्टेज कैरिज रूट व ग्रामीणए एजुकेशनल परमिट 94ए भार वाहन 10ए801ए मोटर व मैक्सी कैब 3940ए तिपहिया वाहन 2416 और कंस्ट्रक्शन व्हीकल 1185 शामिल है। हकीकत है कि सरहदी जिले में ऊर्जा परियोजनाओंए व्यापार और पर्यटन के कारण वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ रही हैए लेकिन नियंत्रण और जांच की गति लगभग ठहर चुकी है। इस तरह नियुक्त एक अधिकारी को औसतन 18 हजार वाहनों की निगरानी करनी पड़ रही है कृ जो किसी भी जिले के लिए असंभव अनुपात है।

हकीकतरू फिटनेस और जांच तंत्र पर भी असर

. रिक्तियों के कारण विभाग नियमित सडक़ निरीक्षणए टैक्स सत्यापन और वाहन फिटनेस जांच करने में असुविधा हो रही है।

.निगरानी में कमी होने से कई वाहन बिना फिटनेस या अद्यतन परमिट के सडक़ों पर दौड़ रहे हैं।

. अवैध संचालनए ओवरलोडिंग और सुरक्षा उल्लंघनों पर रोक लगाने के लिए अभियान को प्रभावी रूप देने में समस्या।

भौगोलिक विस्तारए संसाधन सीमित

गौरतलब ह ैकि 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला सरहदी जैसलमेर जिला प्रदेश के सबसे बड़े जिलों की फेहरिस्त में शुमार है। यहां फतेहगढ़ए पोकरणए मोहनगढ़ए लाठीए नाचना और सीमा चौकियों तक सडक़ नेटवर्क फैला है। क्षेत्र में एक अधिकारी को कभी.कभी 150.200 किलोमीटर तक की दूरी तय कर निरीक्षण कार्य करना पड़ता है। ऐसे में कई स्थानों पर परिवहन नियंत्रण सिर्फ कागजों तक सिमट गया है।

तकनीकी पर निर्भरताए मानव संसाधन नहीं

विभागीय सूत्रों की मानें तो वीएलटीडी और ऑनलाइन परमिट सत्यापन जैसे तकनीकी उपाय शुरू किए जा रहे हैंए पर फील्ड में पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण ये व्यवस्थाएं प्रभावी नहीं हो पा रहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीक तभी सफल होती है जब उसे लागू करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति मौजूद हो। उधरए इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी टीआर पूनड़ का कहना है कि स्टाफ की समस्या को लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर अवगत करवा दिया है और उपलब्ध साधन.संसाधनों से बेहतर सेवाएं देने का प्रयास कर रहे हैं।