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पोकरण: मिट्टी के दीपक व मूर्तियों से होगा 2.50 करोड़ का व्यापार

दीपावली के त्योहार पर कुंभकारों की ओर से मिट्टी के दीपक सहित मूर्तियां व अन्य सामान तैयार कर उन्हें बाजार में बेचने की तैयारी की जा रही है।

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दीपावली के त्योहार पर कुंभकारों की ओर से मिट्टी के दीपक सहित मूर्तियां व अन्य सामान तैयार कर उन्हें बाजार में बेचने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में कुंभकारों को अच्छी आमदनी की आस जगी है। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्रा की शुरुआत में ही मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाता है। अब दीपावली के त्यौहार के नजदीक आने के साथ कुंभकार समाज के लोग युद्धस्तर पर कार्य कर मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे है। दीपक व मूर्तियां तैयार होने के बाद स्थानीय बाजारों के साथ ही इन्हें बाहर भी भेजा जाएगा, जिससे परिवारों को अच्छी आमदनी की आस है। दीपावली के त्योहार को देखते हुए पोकरण की लाल मिट्टी से बने दीपक और गणेश व मां लक्ष्मी की छोटी छोटी प्रतिमाओं को बनाने व उन्हें पकाने का कार्य नवरात्रा स्थापना के साथ शुरू कर दिया गया था। पोकरण की लाल मिट्टी के बने कलात्मक पोट्स व खिलौनों ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है और विभिन्न खिलौने व आइटम देश के बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजारों में विक्रय किए जाते है। इसके साथ ही मिट्टी के दीपक भी दीपावली के त्यौहार पर विक्रय होते है।

दीपावली पर्व पर बढ़ी मांग, बेहतर व्यापार की उम्मीद

कुंभकार समाज की ओर से बनाए जाने वाले दीपक और भगवान गणेश व मां लक्ष्मी की मूर्तियां दीपावली के त्यौहार के मौके पर घरों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाते है। इसलिए कुंभकार इसे श्राद्ध पक्ष में नहीं बनाकर इसे बनाने का कार्य नवरात्रा से शुरू करते है। नवरात्र के दौरान कुम्हार परिवार दीपक व मूर्तियां बनाने के कार्य में जुट गए थे। ये कस्बे के अलावा जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व फलोदी जिले के गांवों में भी बिकते है। जिससे इन परिवारों को दीपावली के मौके पर अच्छा रोजगार मिल जाता है। कस्बे के भवानीप्रोल क्षेत्र में निवास करने वाले 206 कुम्हार परिवार दीपावली के दिनों में मिट्टी के दीपक व मूर्तियां बनाने का कार्य करते है। दीपक के विक्रय से एक परिवार को एक से सवा लाख रुपए से अधिक की आय होती है। ऐसे में दीपावली तक पोकरण के कुंभकार करीब ढाई करोड़ रुपए के मिट्टी के दीपक व मूर्तियां विक्रय करेंगे।

पोकरण की लाल मिट्टी से ही बनते है दीपक

पोकरण में निवास कर रहे कुम्हार जाति के करीब 50 परिवार वर्षपर्यंत मिट्टी के दीपक बनाते है। जबकि दीपावली के त्योहार के दौरान 206 परिवार दीपक बनाने का कार्य कर रहे है। दीपक बनाने के लिए लाल मिट्टी पोकरण कस्बे से 5 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड स्थित रिण क्षेत्र में ही निकलती है। यहां निकलने वाली मिट्टी लाल व चिकनी होती है। जिससे दीपक आसानी से बन जाते है। उद्योग एवं खनन विभाग की ओर से कस्बे के कुंभकार समाज के लिए रिण क्षेत्र में कुछ खसरे आरक्षित कर इन्हें आवंटित किए गए है। यहां से खुदाई कर लाल मिट्टी लाने के बाद उसकी कुटाई कर उसका बुरादा किया जाता है और उसको बड़ी छलनी से छानकर व कई दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। भिगोने से चिकनी होने के बाद उस मिट्टी से दीपक व अन्य सामान बनाए जाते है।

फैक्ट फाइल:-

  • 486 परिवार करते है कुंभकारी का कार्य
  • 206 परिवार बनाते है मिट्टी के दीपक
  • 1500 से अधिक दीपक बनाता है एक परिवार प्रतिदिन
  • 01 लाख रुपए से अधिक होती है एक परिवार को आमदनी
  • 2.50 करोड़ रुपए का इस वर्ष होगा दीपक व मूर्तियों का व्यापार

अच्छी आय की है उम्मीद

नवरात्रा की शुरुआत में दीपक व मूर्तियां बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया था। अब तो बाजार में विक्रय भी शुरू हो चुका है। दीपावली तक अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है। सरकार की ओर से कुंभकारों को विशेष सहायता दी जाती है तो उन्हें प्रोत्साहन व सहयोग मिलेगा। साथ ही आमदनी भी बढ़ेगी।

  • सत्यनारायण प्रजापत, प्रभारी कुंभकार हस्तकला विकास समिति, पोकरण