
भारतीय सेनाओं के अब तक के सबसे बड़े संयुक्त युद्धाभ्यास ऑपरेशन त्रिशूल के अंतर्गत मंगलवार को भारतीय थल सेना और वायुसेना ने आपसी तालमेल का बेहतरीन प्रदर्शन भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में किया। इस दौरान सेना के गर्जना करते टैंकों और लड़ाकू विमानों की सामूहिक गडगड़़ाहट ने दुश्मन की छाती में भय भर दिया। आतंकियों के काल्पनिक ठिकानों पर सटीक प्रहार कर भारतीय सेनाओं के जांबाजों ने दिखाया कि उनकी ताकत जब मिल जाती है तो शत्रु कैसे दहल जाता है। सेना की दक्षिणी कमान के नेतृत्व में किए गए इस प्रदर्शन के दौरान कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने वहां मौजूद रह कर सारे प्रदर्शन का अवलोकन किया। उन्होंने कोणार्क कोर और बैटल एक्स डिवीजन के इस युद्धाभ्यास की सराहना की।
ऑपरेशन त्रिशूल के समापन से एक दिन पहले यह अभ्यास मरु ज्वाला के नाम से किया गया और नाम के अनुरूप ही जवानों ने दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों को अपने युद्धक टैंकों व लड़ाकू विमानों के अचूक निशानों को मानो भस्म कर दिया। इस दौरान चारों तरफ धूल के उठे हुए गुबार में जांबाजों को शौर्य की चमक बिखरी हुई दिखाई दी। सेना और वायुसेना के जवानों ने बताया कि कैसे वे आतंकी ठिकानों के साथ शत्रु देश की अग्रिम चौकियों को क्षण भर में नेस्तनाबूद करने में सक्षम हैं। अभ्यास के दौरान आधुनिक तकनीकी का संगम भी देखने को मिला। ड्रोन के जरिए घोषणा कर गांवों से आबादी को खाली करवाया गया। वहीं सैनिक के घायल होने पर रोबोटिक डॉग फस्र्ट एड बॉक्स लेकर रणभूमि में पहुंचे। थलसेना के मैकेनाइज्ड और आर्मर्ड कोर की टैंक रेजिमेंट ने इसमें भागीदारी की। यह अभ्यास रेगिस्तानी क्षेत्र में कितने भी चुनौतीपूर्ण अवसर पर सेना की मारक क्षमता का प्रदर्शन करने वाला था।
अभ्यास के दौरान सदर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने त्रि-सेवा ऑपरेशन त्रिशूल के एक प्रमुख चरण के रूप में आयोजित अभ्यास अखंड प्रहार के दौरान कोणार्क कोर की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय सेना की बहु-क्षेत्रीय (मल्टी-डोमेन) क्षमताओं को भारतीय वायुसेना के साथ समन्वय में संचालित एकीकृत अभियानों के माध्यम से प्रमाणित करना था। आर्मी कमांडर ने संयुक्त हथियार अभियानों का अवलोकन किया, जिसमें सेवाओं के बीच निर्बाध समन्वय, रणनीति, तकनीक और प्रक्रिया का परिष्कार तथा अगली पीढ़ी की युद्धक्षेत्र तकनीकों जैसे ड्रोन और प्रतिरोधी-ड्रोन प्रणालियों का प्रयोग प्रदर्शित किया गया। अभ्यास ने नव-प्रवर्तित प्लेटफार्मों और स्वदेशी नवाचारों का वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षण स्थल के रूप में भी कार्य किया। आर्मी कमांडर ने कोणार्क कोर और बैटल एक्स डिविजन की तकनीक के नवोन्मेषी उपयोग, अनुकूलनशीलता और उच्च स्तर की परिचालन तत्परता की सराहना की।
Published on:
11 Nov 2025 09:31 pm
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